class 10th social science most important answer खनिज एवं ऊर्जा संसाधन - Mineral and energy resources

 खनिज एवं ऊर्जा संसाधन - Mineral and energy resources -


1.खनिज क्या है  खनिज किस प्रकार के शैल समूहों में पाये जाते हैं ?

उत्तर - भू - वैज्ञानिक के अनुसार खनिज प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्व है जिसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना  होती है खनिज प्राकृतिक में अनेक रूपों में पाए जाते हैं जिसमें कठोर हीरा व नरम चूना तक सम्मिलित है 


2. प्रकृतिक गैस हमारे लिए क्यों आवश्यक हैं क्षेत्र एवं उत्पादन के बारे में बताइये ?

उत्तर -  प्राकृतिक गैस पेट्रोलियम के भंडार के साथ पाई जाती है और जब कच्चे तेल को सतह पर लाया जाता है तो यह मुक्त हो जाती है इसका उपयोग घरेलू और औद्योगिक ईंधन के रूप में किया जा सकता है इसका उपयोग बिजली क्षेत्र में ईंधन के रूप में बिजली पैदा करने के लिए, उद्योगों में हीटिंग के उद्देश्य के लिए, रासायनिक पेट्रोकेमिकल्स, और उर्वरक उद्योगों में कच्चे माल के रूप में, परिवहन ईंधन के रूप में और खाना पकाने के ईंधन के रूप में किया जाता है 


3. भारत में खनिज संसाधनों के संरक्षण के उपाय बनाइये ?

उत्तर -  खनिज संसाधन उद्दोगों का आधार है, इसके बिना कोई भी राष्ट प्रगति की और अग्रसर नहीं हो सकता है।  खनिज संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए।  इनके संरक्षण के प्रमुख उपाय निम्न है - 

1. खनिज सम्पदा का उपयोग मितव्ययितापूर्वक तथा विवेकपूर्ण विधि से करना चाहिए।  

2. देश में जो खनिज कम मात्रा में उपलब्ध है, उनका मै मितव्ययितापूर्वक उपयोग किया जाना चाहिए, चांदी, गन्धक, पोटाश, जस्ता, पारा, सीसा आदि। 

3. लौह अयस्क का उपयोग बार - बार गला के किया जाय न की लौह - अयस्क को  खदानों से निकलते ही जाए। 

4. जो खनिज संसाधन निर्यात किये जा  रहे है, उदाहरण के लिए - मैंगनीज, अभ्रक, बाक्साइट, क्रोमाइट आदि इन पर नियंत्रण  चाहिए, क्योंकि इससे हमारे बहुमूल्य खनिज संसाधनों का आभाव हो रहा है।  

5. खनिज संसाधनों की प्राप्ति के लिए नवीन क्षेत्रों का सर्वेक्षण जारी रखना चाहिए जिससे खनिज संसाधनों में वृद्धि हो सके।

  

4. वर्तमान में ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है ऊर्जा संसाधनो के संरक्षण के उपाय बताइये ?

वर्तमान में ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता -

1. आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा एक आधारभूत आवशयकता है। 

2. राष्टीय अर्थव्यवस्था में प्रत्येक क्षेत्र - कृषि, उद्दोग, परिवहन, वाणिज्य व घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऊर्जा की निवेश की आवश्यकता है।  

3. आजादी के पश्चात् आर्थिक विकास की योजनाओं को चालू रकने के लिए ऊर्जा की बड़ी आवश्यकता थी। परिणामस्वरूप पूरे राष्ट में ऊर्जा के सभी प्रकारों का उपभोग निरंतर बढ़ रहा है।  

ऊर्जा संसाधनो के संरक्षण के उपाय - 

1. ऊर्जा विकास के सतत पोषणीय मार्ग के विकसित करने की तुरंत आवश्यकता है।  

2. ऊर्जा संरक्षण की प्रोन्नति और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का बढ़ता प्रयोग सतत पोषणीय ऊर्जा के दो आधार है। 

3. हमें ऊर्जा के सीमित संसाधनों के न्यायसंगत उपयोग के लिए सावधानीपूर्वक उपागम अपनाना होगा।  


5. सौर ऊर्जा क्या है भारत में इसका भविष्य क्या है |

उत्तर- भारत एक उष्ण - कटिबंधीय देश है।  यहाँ सौर ऊर्जा के दोहन की असीम सम्भावनाएँ है।  फोटोवोल्टाइक प्रौद्योगिकी द्वारा धूप  को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है भारत के ग्रामीण तथा सुदूर क्षेत्रों में सौर ऊर्जा तेजी से लोकप्रिय हो रही है कुछ बड़े सौर ऊर्जा सयंत्र देश के विभिन्न भागो में स्थापित किये जा रहे है।  ऐसी अपेक्षा है की सौर ऊर्जा के प्रयोग से ग्रामीण घरों में उपलों तथा लकड़ी पर निर्भरता को न्यूनतम किया जा सकेगा।फलस्वरूप यह पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा और कृषि में भी खाद्य की पर्याप्त आपूर्ति होगी।   


6. कोयले महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कोयला के प्रकार एवं उत्पादक क्षेत्र बताइये ?

उत्तर - 

कोयला का महत्त्व - 

भारत में कोयला बहुतायात में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन है।  यह देश की ऊर्जा आवश्यकताओं का महत्वपूर्ण भाग प्रदान करता है इसका उपयोग ऊर्जा उत्पादन तथा उद्दोगों और घरेलु जरूरतों के लिए ऊर्जा की आपूर्ति के लिए किया जाता है।  भारत अपनी वाणिज्यिक ऊर्जा आवशयकताओं की पूर्ति हेतु मुख्यतः कोयले पर निर्भर है।

कोयला के प्रकार - 

 1. एन्थ्रेसाइट - यह सर्वोत्तम कोयला है भारत में मिलने वाले इस किस्म के कोयलो में कार्बन की मात्रा 85 से 95 प्रतिशत तक है।  

2. बिटुमिनस - यह द्वितीय श्रेणी का कोयला है इसमें कार्बन की मात्रा 40 से 55 प्रतिशत तक होती है। इसका रंग कला होता है तथा जलते समय कम धुँआ देता है।   

3. भूरा व लिग्नाइट - यह घटिया किस्म का कोयला होता है यह छूने पर हाथ काला करता है अतः जलते समय अधिक धुआँ देता है। 

4. पीट - यह कोयले का प्रत्मिक रूप है इसमें कार्बन की मात्रा 20 प्रतिशत तक है और आर्द्रता 80 प्रतिशत तक है। 

 कोयला के उत्पादक क्षेत्र - 

भारत में कोयला दो प्रमुख भूगभिर्क़ युगो के शैल क्रम में पाया जाता है - एक गोंडवाना जिसकी आयु 200 लाख वर्ष से कुछ अधिक है और दूसरा दरशियरी निक्षेप जो लगभग 55 लाख वर्ष पुराने है।  गोंडवाना कोयले, जो धातुशोधन कोयला है, के प्रमुख संसाधन दामोटर घाटी ( पश्च्मि बंगाल तथा झारखंड ), झरिया, रानीगंज, बोकारो में स्थित है जो महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र है गोदावरी, महानदी, सोन, व वर्धा नदी घटियो में भी कोयले के जमाव पाए जाते है। 

टरशियरी कोयला क्षेत्र उत्तर - पूर्वी राज्यों - मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश व नागालैंड में पाया जाता है यह स्मरण रहे की कोयला स्थूल पदार्थ है जिसका प्रयोग करने पर भार घटता है क्योकि यह रख में परिवर्तित हो जाता है इसी कारण भारी उद्दोग तथा ताप विद्युत गृह कोयला क्षेत्रों अथवा उनके निकट ही स्थापित किये जाते है।


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7. परम्परागत तथा गैर परम्परागत ऊर्जा में अंतर बताइये | 

उत्तर - ऊर्जा के परंपरागत साधन -

> कोयला, पेट्रोलियम, परमाणु ऊर्जा, जलवायु शक्ति, ऊर्जा के परंपरागत साधन है 

> जल विद्युत के अतिरिक्त इन सभी साधनों से प्रदूषण फैलता है

 > जल विद्युत को छोड़कर यह साधन अनापूर्ति साधनों की श्रेणी में आते हैं इनका एक बार प्रयोग करने के बाद दोबारा उपयोग करना संभव नहीं है 

> इनका प्रयोग गैर परंपरागत साधनों के साथ हुआ है

ऊर्जा के गैर परंपरागत साधन -

> सौर ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, कूड़े कचरे या गोबर वह मल मूत्र से तैयार किया गया ऊर्जा इस श्रेणी में आती है 

> यह साधन प्रदूषण मुक्त ऊर्जा करते हैं 

> यह सभी साधन आपूर्ति साधनों की श्रेणी में आते हैं 

> इनका प्रयोग निरंतर संभव है इनका प्रयोग बहुत पहले से हो रहा है


8. आग्नेय तथा कायांतरित अवसादी चट्टानों में खनिजों का निर्माण कैसे होता है | 

उत्तर - 1. आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिज दरारों, जोड़ो, भ्रंशों व वीडरों में मिलते है।  

2. छोटे जमाव शिराओं के रूप में और बृहत जमाव पार्ट के रूप में पाए जाते है। 

3. इनका निर्माण अधिकतर उस समय पर होता है जब ये तरल अथवा गैसीय अवस्था में दरारों के शेयर - भू - प्रष्ट की ओर धकेले जाते है तथा ऊपर आते ठंडे होकर जैम जाते है। 

4. मुख्य धात्विक खनिज, जैसे - जस्ता, ताँबा, जिंक और सीसा आदि इसी तरह शिराओं व जमावों के रूप में प्राप्त होते है।  


9. रेट होल  (RAT HOLE) खनन क्या है 

उत्तर - 

1. भारत में अधिकांश खनिज राष्टीयकृत है और इनका निष्कर्षण सरकारी अनुमति के पश्चात् ही संभव है। 

2. मेघालय में कोयला, लौह अयस्क, चूना पत्थर व डोलोमाइट के विशाल निक्षेप पाए जाते है। 

3. जोवै व चेरापूंजी में कोयले का खनन परिवार के सदस्य द्वारा एक लम्बी संकीर्ण सुरंग के रूप में किया जाता है, जिसे रेट होल खनन कहते है।  


10. भारत में मैग्नीज लोहा ताँबा का उत्पादन क्षेत्र बताइये ?

उत्तर - मैग्नीज - 

> बालाघाट ,सुंदरगढ़, नागपुर, शिवमोग्ग 

लोहा  - 

> ओडिशा - झारखण्ड पेटी -

> दुर्ग - बस्तर - चंद्रपुर पेटी -

> बल्लरि - चित्रदुर्ग, चिक्कमंगलुरु - तुमकुरु पेटी - 

> महाराष्ट - गोआ पेटी -

ताँबा - मध्य प्रदेश की बालाघाट खदाने देश का लगभग 52 प्रतिशत ताँबा उत्पन्न करती है झारखण्ड का सिंहभूम जिला भी ताँबे का मुख्य उत्पादक है।  राजस्थान की खेतड़ी खदाने भी तांबे के लिए प्रसिद्ध थी। 


11. बाक्साइड एवं लौह खनिज की उपयोगिता बताइये 

उत्तर - बॉक्साइड

यद्यपि अनेक अयस्कों में एल्युमिनियम  पाया जाता है परंतु सबसे अधिक एल्युमिना क्ले जैसे दिखने वाले पदार्थ बॉक्साइड  से ही प्राप्त किया जाता है बॉक्साइड  निक्षेपों की रचना एल्युमिनियम सिलिकेटों से समृद्ध व्यापक भिन्नता वाली  चट्टानों के विघटन से होती है | 

लौह खनिज - 

लौह खनिज धात्विक खनिजों के कूल उत्पादन मूल्य के तीन चौथाई भाग का योगदान करते हैं ये धातु शोधन उद्योगों  के विकास को मजबूत आधार प्रदान करते हैं | भारत अपनी घरेलू माँग को पूरा करने के पश्चात् बड़ी मात्रा में धात्विक खनिजों का निर्यात करता है  

जैसे - लौह अयस्क ,मैंग्नीज आदि  


12. भारत में लौह  अयस्क की पेटियाँ कौन - कौन सी हैं ?

उत्तर -

 ओडिशा - झारखण्ड पेटी -

> दुर्ग - बस्तर - चंद्रपुर पेटी -

> बल्लरि - चित्रदुर्ग, चिक्कमंगलुरु - तुमकुरु पेटी - 

> महाराष्ट - गोआ पेटी -

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