मध्य प्रदेश की मुख्य वृक्ष प्रजातियाँ - विभिन्न वनोपज [various forest produce ]
major tree species of madhya pradesh -
सागौन का वृक्ष, हरा सोना -
सागौन का बॉटनिकल नाम 'टेक्टोनेग्रेन्डई' है
75 से 125 सेंटीमीटर वर्षा पेटी में और काली मिट्टी में से उठने वाले सागौन वृक्ष राज्य के मध्य दक्षिणी क्षेत्र में अधिकांशतया केंद्रित है
यह उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन है कुल 1 क्षेत्र का 19.36% मध्यप्रदेश में विश्व का सर्वोत्तम सा गुण पाया जाता है
उपयोग भवन निर्माण और फर्नीचर निर्माण
प्रमुख क्षेत्र होशंगाबाद, जबलपुर, बैतूल, सागर ,छिंदवाड़ा, और मंडला जिले बोरी घाटी में सर्वाधिक सावन पाया जाता है
सागौन प्रदेश में बहुतायत रूप में पाया जाने वाला एक से 2 फुट बड़े एवं खुरदरे पत्तों वाला बहुमूल्य वृक्ष है
काष्ठ भवन निर्माण एवं फर्नीचर हेतु उपयुक्त
पुष्प एवं बीज अनेक शारीरिक व्याधियों में लाभकारी
साल का वृक्ष -
साल का बॉटनिकल नाम 'शोरिया रोबस्ता' है
जो 125 सेटीमीटर से अधिक वर्षा वाले और लाल मिट्टी क्षेत्र में साल वन पाए जाते हैं
यह क्षेत्र पूर्वी मध्य प्रदेश बघेलखण्ड का है यह अत्यधिक सघन होते हैं
यह उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन होते हैं
कुल वन क्षेत्रफल का 4.15 %, देश के सर्वाधिक साल वृक्ष मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं
दूसरे क्रम में छत्तीसगढ़ है साल बोरर साल में लगने वाला कीड़ा है
उपयोग -
रेलवे स्लीपर, वाहन ,भवन निर्माण ,फर्नीचर, खंभे, तंबू आदि में
साल का वृक्ष कहाँ कहाँ पाया जाता है -
प्रमुख क्षेत्र - मंडला, बालाघाट, सीधी, सिंगरौली, उमरिया, अनूपपुर, शहडोल
चिकनी पत्तियों वाला सदाबहार वृक्ष
काष्ठ अत्यंत मजबूत चौखट में उपयोग पत्तों का उपयोग पत्तल दोना बनाने में किया जाता है।
कंकरीट के प्रयोग से पहले रेलवे स्लीपर में काष्ठ का उपयोग होता था
बीज का उपयोग वनस्पति घी, तेल तथा साबुन बनाने में, राल का उपयोग संबंधित उत्पादों तथा मल्हम बनाने में
साजा का वृक्ष -
लंबा मगर की खाल जैसी आकृति की छाल वाला सागौन का प्रमुख सहयोगी वृक्ष
काष्ठ का उपयोग कृषि उपकरण एवं भवन निर्माण में
काष्ठ एवं छाल का चूर्ण मधुमेह में उपयोगी
वीजा वृक्ष -
अंडाकार चमकीली पत्तियों वाला लंबा बड़ा वृक्ष
काष्ठ से चमकीले रक्त वर्ण द्रव का रिसाव, काष्ठ का घरेलू उपयोग
पत्तों का रस त्वचा रोग में एवं काष्ठ का रस मधुमेह में अति लाभकारी।
हल्दु का वृक्ष -
छतरी नुमा कैनोपी ,हृदयाकार कार पत्तियों एवं भूमि के समानांतर शाखाओं का बड़ा वृक्ष
काष्ठ पीली मजबूत कठोर ,फर्नीचर, मकान एवं कृषि उपकरणों में उपयोग।
धावड़ा वृक्ष -
मध्यम आकार का भूरी सफेद छाल उभरते हुए गोल छिलके वाला वृक्ष
तने से खाने योग्य गोंद का स्त्राव , काष्ठ मजबूत पत्तियों का उपयोग चमड़ा पकाने में।
अंजन वृक्ष -
छोटी दो भाग में विभाजित पत्तियों वाला मध्यम आकार का वृक्ष
काष्ठ अधिक कठोर, कृषि यंत्रों में उपयोग, पत्तियों का पशु चराने में उपयोग।
शीशम वृक्ष -
हल्की छत्र, चमकीली छोटी पत्तियों वाला मध्यम आकार का वृक्ष
काष्ठ कठोर मजबूत एवं टिकाऊ फर्नीचर में उपयोग
पत्तो एवं काष्ठ का रस चर्म रोग कुष्ठ एवं सभी रोग में उपयोगी।
नीम का वृक्ष -
आबादी में अधिकतर पाया जाने वाला वृक्ष।
काष्ठ भारी एवं कठोर, घरेलू कार्यों में उपयोग
पत्तियां, छाल ,पके हुए फल एवं बीज का तेल, अनेकों रोगों विशेषकर चर्म रोग एवं कीटनाशकों के रूप में मान्य।
पलाश का वृक्ष -
अनियमित आकार के तने, हल्की भूरी छाल तथा तीन पत्तियों वाला वृक्ष।
इसकी छिवला ढाक, टिशू, खकरा एवं किंशुक आदि नामों से पहचान।
पुष्पों के सिंदूरी लाल रंगों के कारण इसका नाम 'फ्लेम ऑफ फारेस्ट' भी कहा जाता है
उसका उपयोग रंग में पत्ती - दोना पत्तल में, जड़ रस्सी बनाने में उपयोगी।
गुण कमरकस नाम से विख्यात है।
बेल का वृक्ष -
भूरी छाल , कांटेदार शाखाओं एवं तीन पत्तियों वाला मध्यम आकार का वृक्ष
काष्ठ का उपयोग कृषि औजार एवं घरेलू उपयोग में
पत्तियों का उपयोग भगवान शिव की पूजा में
फल को कुपाचन में, गुदा पीलिया में, पत्ते का रस मधुमेह तथा ज्वर में उपयोगी।
तेंदू पत्ता वृक्ष -
सबसे प्रमुख लघु उपज तेंदूपत्ता है
अधिकांश तेन्दु वृक्ष छत्तीसगढ़ में जाने के बावजूद मध्य प्रदेश के उत्तर मध्य पूर्वी जिलों में पर्याप्त है
इसकी पत्तियों से बीड़ी बनाई जाती है जो एक प्रमुख उद्योग है
राज्य में तेंदूपत्ता संग्रहण है सहकारिता आधारित है
राज्य में लगभग 260 बीड़ी कारखाने कार्यरत है देश के बीड़ी पत्ता उत्पादन का लगभग 60% मध्यप्रदेश में होता है
2018 में 900 रूपए का का 19.14लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता हुआ
मध्य प्रदेश तेंदूपत्ता व्यापार एक्ट 1964 में बना और मध्य प्रदेश राष्ट्रीय कृत करने वाला पहला राज्य है 1971में तेन्दु पत्ता।
काली, जले हुए का आभास देने वाली छाल का मध्यम आकार का वृक्ष
काष्ठ काले रंग का अत्यंत कठोर एवं मजबूत।
फल खाने में एवं पत्तियों का उपयोग बीड़ी बनाने में
तेंदूपत्ता प्रदेश की आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लघु वनोपज है।
महुआ वृक्ष -
धूसर छाल फैली हुई शाखाएं एवं गोलाकार क्षेत्र वाला वृक्ष
काष्ठ मजबूत, कठोर घरेलू एवं जलाऊ में उपयोग।
फूल का उपयोग सिरका एवं शराब में
पत्तियों का उपयोग दोना -पत्तल बनाने में तथा बीज के तेल का उपयोग रोशनी करने एवं साबुन बनाने में।
जामुन वृक्ष -
भूरी चिकनी छाल, चमकदार हरी पत्तियां तथा विशाल छत्र वाला वृक्ष
काष्ठ जल में सड़ता नहीं है। फल सिरका एवं उ रूप बीज का चूर्ण मधुमेह में अति लाभदायक
अचार वृक्ष -
गहरी भूरी काली ,चौकोन छोटे खाने की, छाल वाला छोटा वृक्ष
फल खाने उपयोग, बीज की गिरी चिरौंजी सूखा मेवा के रूप में विख्यात
करंज वृक्ष -
तीन से पांच बत्ती युक्त गहरे एवं हरे रंग की पत्ती वाला मध्यम आकार का वृक्ष
कास्ट मजबूत, उपयोग घरेलू कार्यों में
बीज से निकाले तेल का उपयोग साबुन बनाने में
पुष्प- मधुमेह, तेल चर्मरोग घाव उपचार, बवासीर एवं वातव्याधि में, पत्ते दस्त रोधी तथा अपच में उपयोग।
कुसुम का वृक्ष -
चार से छह वर्णक वाली पत्तियों युक्त गोलाकार छत्र वाला मध्यम का वृक्ष
पत्तियों की नई कोपले रक्त वर्णी ,जो बाद में हरी हो जाती है, गर्मियों में पत्तियों से परिपूर्ण
छाल का उपयोग टेनिन कुष्ठ तथा चर्म रोग के निदान में।
अमलतास का वृक्ष -
भूरी छाल एवं खुले छत्र वाला, पीले झाड़ फानूस की आकृति के पुष्पों वाला मध्यम आकार का वृक्ष।
काष्ठ कठोर तथा टिकाऊ, घरेलू कार्यों में उपयोग
फल का गूदा अपच कृमि नाशक पत्र रस चर्म रोग तथा चेहरे के लकवा में लाभकारी।
बबूल का वृक्ष -
कांटेदार शाखाएं तिरछी छात्र वाला मध्यम आकार का वृक्ष
काष्ठ बहुत कड़ा एवं भारी, कृषि उपकरण उपयोग, महत्वपूर्ण जलाऊ।
गोंद मुख तथा अतिसार में ,पत्र रस स्त्राव में , छाल दंत व्याधि में उपयोगी
कांटेदार टहनियाँ बागड़ के रूप में भी उपयोगी।
खैर का वृक्ष -
बहु उपयोगी छाल देने वाले खैर वृक्ष की उपलब्धता राज्य में पर्याप्त है
शिवपुरी और बानमौर ,मुरैना में कत्था बनाने का एक-एक कारखाना है।
उत्पादक क्षेत्र - गुना, शिवपुर, शिवपुरी, जबलपुर, सागर, दमोह, कमरिया, होशंगाबाद आदि
हल्की छात्र काली छाल, कांटेदार शाखाओ वाला मध्यम आकार का वृक्ष।
काष्ठ उत्तम एवं अत्यधिक मजबूत सार काष्ठ में कत्था निर्माण
पुष्प पूर्ण -रक्तपित्त में ,कत्था चर्म रोग, दंत विकार में छाल -सूखी खांसी में उपयोगी।
आंवला का वृक्ष -
नया तना चिकना, पुराने तने पर अनियमित उभरते छिलके, वाला मध्यम आकार का वृक्ष
कास्ट का उपयोग जलाऊ में
फल का गूदा सिर दर्द बवासीर तथा फल का चूर्ण मधुमेह एवं पित्त में उपयोगी।
दूधी का वृक्ष -
हल्का भूरा तना, तने से चिपचिपा पदार्थ का स्त्राव वाला वृक्ष।
पत्तिया लंबी एवं दो भागों में बंटी फलियां अंत में जुड़ी हुई
काष्ठ का उपयोग बेलन, खिलौना आदि निर्माण में
अर्जुन का वृक्ष -
बड़े छत्र चिकना तरह झूलती मजबूत शाखाओं वाला नदी नालों के किनारे उगने वाला वृक्ष कष्ट अति कठोर बैलगाड़ी, नाव बनाने में उपयोगी।
छाल चूर्ण - उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, घाव एवं कुष्ठ रोग में उपयोगी।
हर्रा का वृक्ष -
यह एक बहुत उपयोगी वृक्ष है हर्रा वृक्ष के फलो से 35 से 40% 'टैनिंग' पाया जाता है
राज्य में हर्रा निकालने के 15 से 20 कारखाने बचे हैं शेष 15 से 16 कारखाने छत्तीसगढ़ में है।
उभरते छिलकों वाली हल्की भूरी छाल युक्त मध्यम आकार का वृक्ष
फल त्रिफला चूर्ण में , चूर्ण मुख रोग, कब्ज तथा गठिया में उपयोगी।
बहेड़ा वृक्ष -
बड़े डंठल वाली पत्तियां तने पर उभार ,छाल राख के रंग की बड़ा वृक्ष
फल चूर्ण त्रिफला में, खासी श्वास, नेत्र रोग एवं बाल वर्धक रूप में उपयोगी।
घिरिया , भिर्रा वृक्ष का वृष -
बेलनाकार तना पीली भूरी मोटी कार्क जैसी छाल वाला, मध्यम आकार का वृक्ष।
काष्ठ बैलगाड़ी तथा कृषि उपकरण में उपयोगी, अग्नि रोधी वृक्ष
सेंधा - लेंडिया वृक्ष -
लंबे उभरे हुए छिलके वाला बेलनाकार तना, भूरी छाल का वृक्ष
काष्ठ का उपयोग जलाऊ एवं घरेलू कार्यों में
सेमल का वृक्ष -
लंबा कथा बेलनाकार तना शंकु आकार के कांटे युक्त छाल वाला वृक्ष
काष्ठ हल्की मुलायम, माचिस एवं पैकिंग मैटेरियल में उपयोगी।
फल, पुष्प, छाल एवं गोंद- अनेक रोगों में लाभकारी, फल का रेशा रजाई गद्दे के रुई के रूप में उपयोग में लिया जाता है।
बरगद का वृक्ष -
सैकड़ों चिड़ियों एवं अन्य जीवो का आश्रय प्राकृतिक का महत्वपूर्ण पेड़
फैली तथा भूमि की ओर झुकी शाखाओं बड़े एवं मोटे पत्तों तथा शाखाओं से निकलती वट जटा धारी अति विशाल वृक्ष।
छाल मधुमेह में कलियां दस्त में ,वट जटा , वमन रोधी जता दुग्ध नाशक है।
चंदन का वृक्ष -
सदाबहार अर्द्ध परजीवी मध्यम आकार का पेड़
पत्ते अभिमुखी अंडाकार, पुष्प एवं फल बैंगनी तथा छाल काली
काष्ठ सुगंधित, तेल का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन के रूप में।
कुल्लू का वृक्ष -
सफेद चिकनी, निकलते हुए कागजी शल्क समान छाल युक्त मध्यम आकार का वृक्ष
अनियमित आड़ी तिरछी शाखाओं तथा चट्टानी क्षेत्र में पाए जाने वाला संकटग्रस्त वृक्ष
गोंद,गम कतीरा के नाम से विख्यात, उपयोग खाने में
> बांस वृक्ष -
इसका बॉटनीकल नाम 'डेन्ड्रोकेलेमस' अर्थात लाठी बांस है।
75 सेंटीमीटर या उससे अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में पाया जाता है।
यह उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन है राज्य में 5 लाख नेशनल टन बांस मौजूद है।
अरुणाचल प्रदेश के बाद मध्यप्रदेश बांस उत्पादन में दूसरे स्थान पर है सीधी,सिंगरौली में कटंग बांस पाए जाते हैं।
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