बहीखाता क्या है कैसे बहीखाता लेखांकन की प्रारंभिक अवस्था है क्यों बहीखाता के बिना लेखांकन संभव नहीं

 


बहीखाता क्या है कैसे बहीखाता लेखांकन की प्रारंभिक अवस्था है क्यों बहीखाता के बिना लेखांकन संभव नहीं है- 

 बहीखाता क्या है - 

बहीखाता शब्द का अंग्रेजी अनुवाद या मतलब BOOK + KEEPING से है यह इन दो शब्दों से मिल कर बना है 

BOOK का मतलब किताब वहीं KEEPING का मतलब रख रखाव से है। 

व्यावसायिक व्यवहारों को या प्रारम्भिक लेन देन को लेखा की विभिन्न पुस्तकों में  विधिवत ,सुव्यवस्थित रूप से  लिपिबध्द करने अथवा लिखने की कला एवं विज्ञान ही बहीखाता है 

उदाहरण के लिए आप स्कूल में जल्दी और कच्चा कार्य कार्य करने के लिए रफ का इस्तेमाल तो करने होंगे। .. अब आप अपनी इस रफ [NOTEBOOK ] को बही [BOOK ] समझिए और जिस प्रकार आप आप अपने इस रफ NOTEBOOK को सम्भाल कर रखते हैं उसका का ख्याल रखते हैं 

ताकि  आपको  आगे काम आ सके उसका सही उपयोग किया जा सके अथवा  कुछ महत्वपूर्ण चीज  रफ से फेयर [पक्का काम ] किया जा सके। 

ठीक इसी प्रकार  बही का रख रखाव करना ही BOOK KEEPING कहलाता  है। 



दोस्तों - जैसा कि आप जानते है बहीखाता लेखांकन [अर्थात खाता तैयार करना अथवा लिखना ] की प्रारंभिक अवस्था है ,साथ ही आप सोचें कि क्या बहीखाता के बिना लेखांकन करना संभव हो पाएगा। 

नहीं संभव नहीं हो पाएगा अब आपके मन में यह प्रश्न उठ सकता है की क्यों। .... 

देखिए - 

1. बहीखाता प्रारंभिक अवस्था है साथ ही। 

2. बहीखाता  अर्थात book + keeping  अब जब बहीखाता एक किताब है [लेखा करने की ] तो आप उस किताब में ही लेखांकन कर पाएगें ना। 

अगर  book [किताब ,खाता ] न हो तो ,आप प्रारंभिक [शुरुआत ] लेखा कैसे कर पाएगें ,नहीं कर पाएगें ना। व्यावहारिक लेन देन की शुरूआती entry कैसे करेंगे अगर कोई बही [ BOOK ] ही न हो। 

3. ऊपर आपने देखा की  कच्चा कार्य करने के लिए आप रफ का इस्तेमाल कर रहे थे या शुरूआती काम , ताकि आप  फेयर में अच्छे से सुव्यवथित ,क्रमबद्ध  ,लिपिबद्ध ,कर सखें। 

ठीक  उसी प्रकार बहीखाता  प्रारंभिक अवस्था है  जब आप आगे  कार्य करते  हैं , जर्नल बही ,खाता बही ,रोकड़ बही ,सहायक बही में तो प्रारंभिक  लेन देन की  entry की जरुरत होती है ,वह  बहीखात की प्रारंभिक अवस्था से ही मिल  पाती है।  

तो देखा आपने लेखांकन  करने के लिए कोई किताब तो चाहिए न ,जिसमे प्रारम्भिक  entry की जा सके  जिसमे  लिखा जा सके।  

किताबों से तात्पर्य लेखे की विभिन्न पुस्तकों व बहियों से है जिनमें विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक व्यवहारों का लेखा किया जाता है। 


तो लेखांकन  करने के लिए बहीखाता आवश्यक  हो जाती है। ... 

दोस्तों। ...यहाँ एक ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण बात यह है  जिसे अक्सर विद्यार्थी  समझ नहीं पाते  अथवा भ्रमित  हो जाते है। 

बहीखाता  [ book keeping ] तो एक किताब है [ अलग अलग खातों की ]   

> इस  लिए उस किताब मे  कई खाताबही शामिल हो जाते है जैसे - जर्नल बही  खाताबही , रोकड़बही ,सहायकबही  ये सभी खाताबही के अंतर्गत   आते हैं।  

अब इसे समझें  - 

आप  स्कूल  जाते ही होंगे मगर आप अपने की भी चाहने वाले से ये नहीं कटे की  आप स्कूल को पढ़ते हैं ,आप कहतें हैं मै स्कूल में पढता हूँ , क्योंकि स्कूल एक प्रक्रिया है  

ठीक उसी तरह बहीखाता एक  लेखांकन की प्रक्रिया है मगर आप  बहीखाते में शामिल विभिन्न खाता किताबो में लेखा करते हैं  जैसे की जर्नल बही ,रोकड़बही ,सहायक बही  में 

ये सभी विभिन्न खाता किताब  बहीखाता में शामिल होते हैं इसके अंतर्गत आते हैं। 

जे. आर. बाटलीबॉय के अनुसार -  बहीखाता को उपुयक्त खातों में व्यावसायिक  व्यवहारों को लिपिबध्द करने के विज्ञान एवं कला के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। 

, बहीखाता को पुस्तपालन भी कहते हैं.

बही खाता व्यवसायिक सौदों को क्रमबद्ध तरीके से मुद्रा के रूप में रिकॉर्ड करने की कला है ताकि व्यापारियों को आवश्यकता पड़ने पर महत्वपूर्ण सूचना प्राप्त हो सके

बहीखाता की लेखा प्रणालियां - 

भी रहती है जो इस प्रकार की है

1. इकहरा लेखा प्रणाली 

2. दोहरा लेखा प्रणाली 

3.महाजनी बही खाता प्रणाली नंबर 

4.रोकड़ पद्धति

> बहीखाता कला और विज्ञान दोनों है - 

किसी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कहते हैं, वही किसी विषय को सुव्यवस्थित ढंग से सैद्धांतिक तरीके से और नियम के तरीके से अपने सृजनातकता को प्रदर्शित करना कला है इस प्रकार बहीखाता दोनों है, जिसे और भी उपयोगी एवं सर्वव्यापी बनाता है.. .

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