बचपन सा त्यौहार BACHPAN SA TYOHAR KAVITA

 इस कविता में हम अपने बचपन के दिन जो त्योहारों  से हुआ करते थे उसे कुछ शब्द और भाव[स्वरचित कविता ] से याद कर रहे है आज इतना  जीवन व्यस्त हो गया की त्योहारों की खुशी मस्ती गायब है कभी बचपन में हम हर दिन एक नए त्यौहार की तरह जीते थे उठते थे भागते थे। ..वो  बचपन का  त्यौहार ही था। .उसे गयाब मत करना और खुशी से आज भी बचपन का त्यौहार मानते चलना। . {कृपया पड़ने के बाद subscribe करे। .और ज्यादा share ,like comment करे। .धन्यबाद }


                बचपन सा त्यौहार 


                                              

कहा गया बचपन सा त्यौहार 

प्यार मोहब्बत मौज बहार 

मिलते खिलते चहरे की मुस्कान 

कहा गया बचपन का  त्यौहार 



पिता के कंधो का भार 

हस्ते खेलते दोस्तो की मार 

टाफी गोली विस्कीट की भरमार 

सबसे मिलता भर भर प्यार  

कहा गया बचपन का  त्यौहार 



रंग गुलाल कपड़ो की शान 

अपना गांव देश महान 

उगता सूरज सच का साथ 

शर्त फिरंगी सपनो का उपहार 

कहा गया बचपन का  त्यौहार 



 बहता पानी छेड़ते धार

शौक शैतानी बहती लार 

खुली बटन वो बचपन की मार

सीख ज्ञान और तोतली बात 

बहता पानी कागज की नाव 

वो पास की दुकान सिक्के चार 

कहा गया बचपन का  त्यौहार 



बीते बचपन  की आई याद 

खुली आजादी निर्भय संसार

खेल खिलौना त्यौहार की बात 

किस्से कहानी का वो संसार 

आम जामुन अमरुद के दाग 

नहीं भूलते वो नई चीजो का प्रचार 

कहा गया बचपन का  त्यौहार 



वो दादी की मीठी पुकार 

स्कूल किताबे बस्ते का भार 

रात की  नींद दिन का खुमार 

डर की कोशिश वो छिपने का स्वर 

कहा गया बचपन का  त्यौहार 



झूले चकरी फिरंगी की रफ़्तार 

भोली सूरत सब खींचे गाल 

कंधो पर कंधे डाल 

पंछी की चहक वो वर्षा की फुहार 

कहा गया बचपन का  त्यौहार     


खो न जाये वो बचपन का संसार 

माँ, दादी बड़ो  का सम्मान

वो कल्प विचार खुद पर  विश्वाश 

वो बचपन की लम्बी छलांग 

जीवन जीने समझने का विस्तार 

अब भी है वो हमारे बंद आँखो के पार   

कहा गया बचपन का  त्यौहार 

                      प्रस्तुतकर्ता --   प्रयाग तिवारी 

                                 


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