किसान आंदोलन बेदखली ,अवैध अधिनियम , भूमि किराया में वृद्धि ,और महाजनों ,साहूकारों की भ्रष्ट लालची कार्य प्रणाली और किसानो को उनकी भूमि से निष्कासित करने के विरोध में किसान आंदोलन और विद्रोह हुए। किसान, आम जन विरोध करते कुछ आंदोलन में नेतृत्व [नेता ] भी मिल जाता था। जिससे आंदोलन को बड़ी ताकत मिलती।
भारतीय इतिहास के विभिन्न किसान आंदोलन :एक नजर में -
peasant movement in british india -
1. रंगपुर विद्रोह,-
यह किसान आंदोलन सन 1783 में , दिनाजपुर के आस पास के क्षेत्र में प्रभावित रहा। इस आंदोलन के नेतृत्वकर्ताोओ में धीरज नारायण प्रमुख रहे है। संभवतः यह व्रिटिश भारत का पहला किसान आंदोलन माना जाता है
कारण - ब्रिटिश सरकार ने जमींदारों पर कर राजस्व की दर बढ़ा दिया जिसके परिणामस्वरूप जमींदारों पर अधिक आर्थिक दबाव बढ़ गया ,जिसके अंत में यह बोझ किसानो पर पड़ा ,और किसानो से अधिक मनमाना कर वसूल किया जाने लगा। इसी के विरोध में रंगपुर विद्रोह हुआ।
> नारकेलबेरिया विद्रोह [ 1831 ] - यह विद्रोह मीर निथार या टीटू मीर ने पश्चिम बंगाल के काश्तकारों पर नील की खेती करने वाले लोगों पर दाढ़ी रखने संबंधी कर लगाया।
> पागलपंथी विद्रोह -
यह विद्रोह 1825 से 1835 के बीच चला। पागलपंथी ,एक अर्द्ध धार्मिक समूह ,में मुख्य रूप से मेमनसिंह जिले [पूर्व में बंगाल में ]की हाजोंग और गारो जनजातियां शामिल थी।
2. मोपला विद्रोह -
यह किसान आंदोलन सन 1836 से 1854 से समय में प्रभाविय रहा ,इसके मुख्य नेतृत्वकर्ता के. एम. हाजी ,एवं सिथि कोया थंगल थे। यह आंदोलन मालाबार क्षेत्र में प्रभावित रहा।
कारण - यह विद्रोह भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड ऑकलैंड के समय शुरू हुआ ,ईस्ट इंडिया कंपनी की नई राजस्व व्यवस्था लागू करना इस विद्रोह का मुख्य कारण रहा है।
3. नील विद्रोह -
यह किसान आंदोलन सन 1859 में हुआ ,जिसमे बंगाल सबसे प्रभाविय क्षेत्र रहा था। इसके नेतृत्वकर्ता में मुख्य रूप से दिगंबर विश्वास ,विष्णु विश्वास को जाना जाता है।
कारण - नील विद्रोह प्रथम वायसराय लॉर्ड कैनिंग के समय हुआ ,यूरोपीय लोगो द्वारा भारतीय किसान को जबरन बलपूर्वक नील की खेती करने के लिए मजबूर करना इस विद्रोह का मुख्य कारण था। अतः 1860 में नील की खेती बंद हो गई।
4. पाबना विद्रोह -
पाबना किसान आंदोलन सन 1873 से 1876 तक चला ,इसके नेतृत्व में ईशानचंद्र राय शंभुपाल मुख्य रूप से थे। यह आंदोलन बंगाल में प्रभावित रहा।
कारण - यह किसान विद्रोह वायसराय लॉर्ड नार्थब्रुक के समय हुआ। 1850 के अधिनियम के तहत मिली काश्तकारों की जमीन पर जबरन कब्जे के विरुद्ध यह पाबना किसान विद्रोह हुआ।
5. दक्कन विद्रोह -
दक्कन किसान विद्रोह अंग्रेज सरकार के समय दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में सन 1874 - 1875 में देखने को मिला। जैसे-पुणे ,अहमदनगर ,शोलापुर व सतारा। मुख्य नेतृत्वकर्ता बाबा साहब देशमुख ररहे हैं
कारण - लगान की दर में 50% की कष्टकारी वृद्धि ने किसानो को विद्रोह के लिए मजबूर कर दिया। रैयतवाड़ी इलाके के किसान कर्ज अदायगी लेकर कर्ज देने वाले भ्रष्ट महाजनों के जाल में फँस गए।
6. पंजाब के कृषकों का आंदोलन -
पंजाब के किसानो का आंदोलन सन 1890 -1900 के बीच हुआ ,जो की पंजाब के सभी किसान शामिल हुए इस आंदोलन में कोई मुख्य नेतृत्वकर्ता नहीं था।
कारण - ग्रामीण किसानो की भूमि का गैर - कृषकों व महाजनों में हस्तांतरण करना इस विद्रोह का मुख्य कारण बना।
7. बिजोलिया किसान आंदोलन -
बिजोलिया किसान आंदोलन सन 1905 से 1913 के मध्य लगातार चलता रहा ,जो की मेवाड़ राजस्थान के क्षेत्र में प्रभाविय रहा। इस आंदोलन में मुख्य रूप से भूपसिंह राठी ,विजय सिंह पथिक ,माणिकलाल वर्मा सक्रिय रहे।
कारण - किसानो पर 86 प्रकार के कर लगाया गए। इस लिए यह किसान आंदोलन हुआ।
8. चंपारण सत्याग्रह -
चंपारण सत्याग्रह सन 1917 में हुआ। यह आंदोलन भारतीय इतिहास में गाँधीवादी की शुरुआत का एक मुख्य कारण रहा। भारतीय राजनीति में गाँधी जी का एक प्रभावशाली नेता के रूप में प्रवेश उतर बिहार के चंपारण आंदोलन से हुआ। इसके नेतृत्व में महात्मा गाँधी सामने आये। इस किसान आंदोलन मुख्य रूप से चंपारण ,रामनगर ,मोतिहारी मधुबनी [बिहार ] का क्षेत्र प्रभावित रहा।
कारण - तिनकठिया प्रणाली लगान वृद्धि विरोध में गाँधी जी ने चम्पारण के किसानो को भ्रष्ट जमींदारों से मुक्ति दिलाई।
9. खेड़ा सत्याग्रह -
यह आंदोलन सन 1918 में हुआ , खेड़ा गुजरात में आता है खेड़ा का नेतृत्व महात्मा गाँधी द्वारा किया गया था।
कारण - अहमदाबाद के श्रमिक विवाद में कॉटन टेक्सटाइल मिल मालिक और मजदूरों के बीच मजदूरी बढ़ाने तथा प्लेग बोनस में कटौती से सम्बंधित विवाद था।
10. अवध किसान आंदोलन -
अवध किसान आंदोलन सन 1919 से 1920 में हुआ , इसके नेतृत्वकर्ता झींगुरी सिंह और बाबा रामचंद्र थे। प्रतापगढ़ रायबरेली ,सुल्तानपुर ,फ़ैजाबाद का क्षेत्र इस आंदोलन से प्रभावित रहा है।
कारण - अवैध लगान व बेदखली अधिनियम लागू किया हुआ जिसमे मालगुजारी लगान में बढ़ोतरी कर दी गई जिसके परिणाम में अवध किसान आंदोलन हुआ।
11. एका आंदोलन -
एका किसान आंदोलन सन 1921 से 1922 के बीच हुआ ,जिसमे बाराबंकी ,हरदोई ,बहराइच ,सीतापुर का क्षेत्र प्रभावित रहा। इसके नेतृत्वकर्ता मदारी पासी थे।
कारण - लगान और राजस्व में लगातार बढ़ोतरी के दबाव के कारण।
12. मालाबार का मोपला विद्रोह -
मालाबार का मोपला विद्रोह सन 1921 में हुआ ,जो की मालाबार के क्षेत्र में प्रभावित रहा। इसके नेतृत्व में याकूब हसन , यू. गोपाल मेनन ,पी. मोइयुद्दीन कोया अली मुदलियार प्रमुख थे।
कारण - अधिक लगान व बेदखली के कारण।
13. बारदोली सत्याग्रह -
बारदोली सत्याग्रह का आरम्भ सन 1928 में हुआ था ,सूरत का बारदोली क्षेत्र इससे प्रभावित रहा है। सरदार बल्ल्भभाई पटेल इसके नेतृत्वकर्ता रहे हैं
कारण - मजदूर और सेवको को जमींदारों और धनवानों के द्वारा बँधुआ बनाया जाता जिसके विरोध यह आंदोलन हुआ।
14. आंध्र आंदोलन -
यह आंदोलन 1923 से 1938 तक चला ,यह आंध्रप्रदेश के तटीय क्षेत्रों में प्रभाविय रहा। इसके नेतृत्वकर्ताओं में मुख्य रूप से एन. जी. रंगा, पी. सदरैया , बनली सत्य नारायण ,दंडु सत्य नारायण राजू सक्रिय रहें हैं।
कारण - खेत पर अपने अनुसार फसल उगाने और मछली मारने के अपने अधिकार को लेकर किसानो विद्रोह कर दिया।
15. मालावार कृषक आंदोलन -
यह सन 1934 से 1940 के भीज सक्रिय रहा है इसमें केरल का मालावार क्षेत्र मुख्य रूप से प्रभाविय रहा है। आर. रामचंद्र वेदुंगड़ी ,वी. कृष्ण पिल्लै ,टी. प्रकाशम् इसके नेतृत्वकर्ता रहे हैं।
कारण - सामंती वसुलियाँ को लेकर मतभेद
16. बिहार में किसान आंदोलन -
यह बिहार में किसान आंदोलन 1929 से 1939 तक चला जिसके नेतृत्वकर्ता स्वामी सहजानंद थे। यह आंदोलन मूलतः बिहार में पनपा और प्रभाविय रहा।
कारण - जमींदारी उन्मूलन ,गैर कानूनी वसूली किसानो के विद्रोह का मुख्य कारण बना।
17. पंजाब में किसान आंदोलन -
यह आंदोलन पंजाब के जालंधर ,अमृतसर ,होशियारपुर ,लावलपुर ,शेखपुरा में सन 1930 -1940 में चलाया गया। जिसके नेतृत्वकर्ता सोहन सिंह भाकना ,बेदी ज्वाला सिंह ,मास्टर हरि सिंह थे।
कारण - नहर कर में वृद्धि ,अमृतसर व लाहौर में भू -राजस्व में वृद्धि
18. वर्ली आंदोलन -
वर्ली आंदोलन सन 1945 से 1949 के बीच सक्रिय रहा है , गोदावरी पुरुलेकर इसके मुख्य नेतृत्वकर्ता थे। बम्बई के निकट वर्ली क्षेत्र प्रभावित रहा है.
कारण - जंगलो के ठेकेदारो , धनि कृषक के विरूद्ध विद्रोह हुआ।
19. तेभागा आंदोलन -
तेभागा किसान आंदोलन सन 1946 से 1950 के बीच दिनाजपुर ,रंगपुर ,जलपाईगुड़ी ,मिदनापुर ,खुलना जगह पर चलाया गया। कृष्ण विनोदी राय अवनि लाहिरी ,सुनील सेन भवानी सेन इस आंदोलन के मुख्य नेता रहे हैं। यह आंदोलन आजाद भारत के समय का प्रथम आंदोलन था
20. तेलंगाना आंदोलन -
सन 1946 से 1951 के बीच चलाया गया यह आंदोलन तेलंगाना में प्रभाविय रहा है संदरैया इसके मुख्य नेतृत्वकर्ता रहे हैं
कारण - निजाम , जमीदारों साहूकारों के विरुद्ध ,बेगार कराना इस आंदोलन का मुख्य कारण रहा था।
1 टिप्पणियाँ
Nice..super
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