स्वतंत्रता का सम्मान होना चाहिए, सबका हक़ ``स्वतंत्र`` होना चाहिए independent

 



                      स्वतंत्रता  का सम्मान होना चाहिए 

                     सबका हक़ ``स्वतंत्र`` होना चाहिए !! 


                 स्वतंत्र यानि स्व +तंत्र मतलब स्वयं का तंत्र ,स्वयं का निर्माण, निर्णय ,अनुशासन ,क्षमता  व योग्यता 

अब  अगर आप सच्चे स्वतंत्रता के प्रेमी है तो आप वही स्वतंत्रता दूसरो को भी देंगे उसकी भी स्वतंत्रता का सम्मान करेंगे !

स्वतंत्रता वास्तविक रचनाकार के रचनात्मकता को उभार सकती है उसे यूनिक बना सकती है अगर आप में कोई भी अलग गुण कला ,क्षमता ,दक्षता है तो स्वतंत्रता ही आपको सही तरीके से आपको कामयाब बनाती  हैं आपको उभारती हैं 

इस लिए हर व्यक्ति को स्वतंत्रता उसकी जीवन के बनावट को सही आकार प्रदान करती है एक सच्चे मकसद की ओर ले जाती है 

- हम अपने कई सफल महान हस्ती को देखे तो उनकी सफलता के लिए सबसे उपयुक्त गुण स्वतंत्रता ही है  

सोचिए यदि महान सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट खेलने की स्वतंत्रता न दी जाती तो क्या भारत को इस दुनिया को इतना महान क्रिकेटर क्या मिल पाता ,इतना विशुद्ध कलात्मक,कुशल ,खूबियों से भरपूर खिलाडी क्या मिल पाता !

 सोचिए यदि सचिन तेंदुलकर को खेल की स्वतंत्रता न मिलती तो हम सब इतना महान खिलाडी खो सकते थे 

यदि उनके खेल के रुझान व प्रवाह को रोक दिया जाता तो क्या होता भारत को क्रिकेट जगत को एक महान  खिलाडी व  व्यक्तित्व नहीं मिल पाता। 


यदि महेंद्र सिंह धोनी को खेलनी की स्वतंत्रता न मिल पाती  तो वो कहीं ऐसी वैसी नौकरी करते या रेलवे मे 

करते ही रह जाते। उनके जीवन संघर्ष में एक समय था भी ,की उन्हें स्वतंत्र खेलने को ही नहीं मिल पा रहा था। 

 तब वो रुक से गए  थे अपने  करियर के साथ खेल में भी आगे नहीं बढ़ पा रहे थे ,उनकी स्वतंत्रता को कहीँ न 

कही बाधित किया जा रहा था उनके टैलेंट के प्रवाह को मोड़ दिया गया था लेकिन जब वह अपने टैलेंट के प्रवाह के

 साथ आगे बढ़े तो बस कमाल कमाल करते गए! और हमें 2011 का विश्व कप भी मिला 



हमारे महान क्रांतिकारी वीर भगत सिंह जी के पिता किशन सिंह जी यदि भगत को स्वतंत्र नहीं रखते तो हमारी स्वतंत्रता के लिए फाँसी पर चढ़ जाने वाला मतवाला महान क्रांति वीर सपूत  हमें कैसे मिल पाता !

न ही हमारी स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त होता न ही स्वतंत्रता इतनी सम्माननीय होती। 

भगत सिंह की स्वतंत्रता के प्रति लगन व रुझान को देख कर कभी भी उनके पिता उनकी स्वतंत्रता को रोका नहीं प्रभावित नहीं किया। बल्कि उनके प्रवाह को देख उनके लिए नये रास्ते बना दिए 


आप किसी भी क्षेत्र को देख ले किसी भी क्षेत्र में जाए और तत्थों पर निहारें जिसने भी कुछ महान  कुछ विशुद्ध कुछ अलग किया स्वतंत्रता का स्पर्श सबसे ऊपर रहा। शायद स्वतंत्रता के बिना सफलता और उस पर उच्तम शिखर मिलना नामुमकिन सा था 

हर बच्चा हर व्यक्ति आपने आप में यूनिक होगा विलक्षण होगा जब वह `स्वतंत्र` हो अपने जीवन निर्माण के लिए|  अपने निर्णय के प्रति 

चाहे संगीत का क्षेत्र हो या अभिनव का, साहित्य हो या कला का क्षेत्र,देश को समर्पित जवान हो या आध्यात्मिक उन्नति की बात ! सब में एक बात सामान है स्वतंत्रता का भाव, स्वतंत्रता का सम्मान। बिना स्वतंत्र कामयाबी के सच्चे पारखी लोग सफलता के शीर्ष स्थल तक नहीं पहुंच सकते  थे !

किसी भी व्यक्त्वि की धारा को मोड़ कर तोड़ कर हम उन्हें बनाने के बजाय उन्हें उनके रास्ते से भटका देते है उन्हें बिगाड़ देते हैं साथ ही हम ऐसे ऐसे कोहनूर व्यक्तित्व टैलेंट को बी भी खो देते है जो हमें कभी नहीं मिल पाते। 

आज युवाओ में इसी स्वतंत्रता को लेकर झटपटाहट है इस 21वीं शताब्दी व 5G के ज़माने में भी कई तरह की  परतंत्रता से जकड़े हुए है 

यहाँ पर मै आपको एक ऐसी ही एक घटना सुनाता हूँ - 

एक बार फ़िल्मकार महबूब खान ने नौशाद [संगीतकार बॉलीवुड ] के काम में दखलंदाजी की। दूसरे दिन सेट पर नौशाद आए और कैमरामेन को समझाने लगे कि उन्हें कैसा शॉट चाहिए या लेना चाहिए । महबूब को अपने काम में संगीतकार की दखलंदाजी पसंद नहीं आई। उन्होंने जब नौशाद साहब को ऐसा करने से रोका गया ,तो नौशाद साहब ने कहा कि कल उन्होंने संगीत की समझ न होने पर भी उनके काम पर दखल दिया था इस घटना के बाद महबूब साहब ने कभी भी नौशाद के काम में टाँग नहीं अढ़ाई। 


यहाँ हम स्वतंत्रता को एक अलग अहमियत से देख पा रहे है स्वतंत्रता का प्रतिरोध से कैसी स्थिति निकल कर आती है कैसा मानसिक और स्वाभाविक विरोध निकल कर सामने आता ही है दोस्तों स्वतंत्रता कैसी भी हो उसका प्रतिरोध नहीं करना चाहिए उसका मोल नहीं होना चाहिए।

दोस्तों आज भले हम ``15 अगस्त`` स्वतंत्रता दिवस का जश्न मानते है और मनाना भी चाहिए। पर आज भी हमारे समाज में हमारे युवाओ में ऐसी कितनी ही मानसिक गुलामी है आज हमारे देश में आत्महत्या का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है हर एक घंटे में एक स्टूडेंट एक विद्यार्थी आत्महत्या की तरफ जा रहा

अगर हम तत्थों की तरफ या कारण  की तरफ नजर करे तो उसमे से एक बड़ा कारण उसकी स्वत्रंत्रता को प्रभावित करना  भी निकल कर आता है 

उनकी स्वतंत्रता को प्रभावित किया जाता है उनकी स्वतंत्रत्र को मारा जाता हैं हस्ताक्षेप किया किया जा रहा है उनसे उनके पसंद के विपरीत सारा काम कराया जाता है हर आत्महत्या करने वाला दूसरा स्टूडेंट आपको ऐसी ही मानसिक स्थिति में मिल जायगा

अब यहाँ पर महत्वपूर्ण बात ये है की चाहे कॅरियर हो या जीवन सब अपने `विलक्षण` गुण पर टिके  हुए है और इनकी सफलता सुनिश्चित करती है ``स्वतंत्रता`` 

तो आप अपने आस पास स्वतंत्रता का सम्मान करे खुद भी स्वतंत्र रहें अपने सभी चाहने वालो को भी स्वतंत्रता का तोहफा दे ,जीवन एक नये आयाम में आपको मिलेगा !  


लेखन - प्रयाग तिवारी [आत्मपूर्ण ]


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