हिंदी की दशा एवं दुर्दशा पर एक शानदार कविता
उठो युवाओ मिल कर हम सब
हिंदी का श्रृंगार करे।
आज से ही उठ कर हम सब
हिंदी से शुरुआत करे।
छोड़ सारे इंग्लिश के बेढंगे
हम सब मिल, आओ युवाओ
भारत का सम्मान करे।
उठो युवाओ मिल कर हम सब
हिंदी का श्रृंगार करे।
आज युवाओ मे बेढंगे शब्दो का राग बना
देखो कैसे अदम्य हिंदी का सम्मान गया
जीवन के परिवेश से संस्कार का वेश कहा गया
नवीन युवा पीढ़ी से हिंदी का आस्तित्व गया
हिन्द राष्ट्र की हिंदी का
आओ मिल कर प्रचार करे
उठो युवाओ मिल कर हम सब
हिंदी का श्रृंगार करे।
रो रही है हिंदी अपने घर मे
जब अपनो ने अपमान किया।
हिंदी अपने आन के खातिर
युवाओ का आवाहन किया
कहाँ कोई हिंदी जैसा
जो कविता काव्य का सृजन करे
कहाँ कोई हिंदी जैसा
जिसका वंदन संसार करे
उठो युवाओ मिल कर हम सब
हिंदी का श्रृंगार करे।
राष्ट्र भाषा है हिंदी अपनी
हिंदी में ही संस्कार पले
इंग्लिश हो गए सारे विद्यालय
फिर रसिक विचार कहाँ मिले
इंग्लिश समझ नही आये
तब भी प्रतिभा दिखानी पड़ती है
हिंदी है मन की भाषा
मन मे ही दबानी पड़ती है
क्यो ऐसा हो रहा है क्या
हिंदी का अधिकार नही
जहाँ भी जाओ आज वहा
हिन्दी का कोई औचित्य नही
क्या उस दिन का इंतजार करे
जब हिंदी के आन की खातिर
अभियान ,कार्यक्रम करने पड़े
ऐसा न होने देंगे
अब दैनिक जीवन मे
आओ मिल कर हिन्दी का व्यवहार करे
उठो युवाओ मिल कर हम सब
हिंदी का श्रृंगार करे।
ये वक्त हमारा है युवाओ को प्यारा है
हिंदुस्तान की गाथा, हिंदी मातृ भाषा है
क्या सपना था, हिंदी के प्रभुत्व का
क्या बचा है पद , भाषा के जननी का
लोगो के नजरिये की ये बात
इंग्लिश जैसी भी आये यहाँ
दो टूक बोल इतराते हो
राष्ट्र भाषा ही बोलने मे क्यो
हिच किचाते सरमाजाते हो
स्कूल कॉलेजो मे प्रवेश मिला नही
साक्क्षातकार मे हिंदी जमी नही
फिर कहा जाये हम हिन्दी वाले
क्या हिंदुस्तान मे हिन्दी बची नही
कब तक ढोंग रचाओगे
ऐसे मे कब तक तरक्की पाओगे
हिन्दी की दशा पर आओ मिल कर विचार करे
उठो युवाओ मिल कर हम सब
हिंदी का श्रृंगार करे
अरे बहुत किया तरक्की हमने
सब कुछ विदेशी हो गया
चाल चलन से लेके अब
बोल चाल भी बदल गया
अपनी सभ्यता ,संस्कृति जाने कैसे बचाओगे
करके नक़ल विदशो की ,
वो भारत वर्ष की सभ्यता कैसे लाओगे
बात सिर्फ इतनी है
हिन्दी ही अपनी है
हिन्दी के हक़ को आओ मिल कर विस्तार करे
उठो युवाओ मिल कर हम सब
हिंदी का श्रृंगार करे।
फिर लोक सृजन का द्वार खोल,
नया हिंदी वर्ष उदय करे।
भारत की गरिमा का मान,
आओ सब मिल कर करे।
उठो युवाओ मिल कर हम सब
हिंदी का श्रृंगार करे।
**रचनाकार -प्रयाग तिवारी **
कटनी [म. प्र. ]
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