सिंधु घाटी सभ्यता के मुख्य स्थल - हड़प्पा सभ्यता ,सिंधु घाटी सभ्यता प्रश्नोत्तरी upsc सिंधु घाटी सभ्यता details

 


सिंधु घाटी सभ्यता के मुख्य स्थल - हड़प्पा सभ्यता 


1. हड़प्पा - वर्तमान समय मेंपश्चिमी पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के भाण्टगोमरी जिले में रावी नदी के बायें तट पर स्थित पुरास्थल है। हड़प्पा वह प्रथम स्थल है जहाँ सबसे पहले खुदाई हुई और इस विशाल पूर्ण सभ्यता  संबंध में जानकारी मिली।  इसकी खोज रायबहादुर दयाराम साहनी एवं माधवस्वरूप वत्स  ने सन 1921 में की। यहाँ से खुदाई में बहुत सी सामग्री एवं अवशेष साक्ष्य प्राप्त हुए है। पिग्गट महोदय ने इसे 'अर्ध्द औद्योगिक नगर कहा है।


 हड़प्पा से क्या क्या साक्ष्य,अवशेष मिले -


> हड़प्पा में कब्रिस्तान ' समाधि R- 37 ' के अवशेष प्राप्त हुए है साथ ही ईंटो के वृताकार चबूतरे भी मिले हैं 


 >  शंख का बना बैल , पीतल की बनी इक्का गाड़ी 


> स्वस्तिक चिन्ह के अवशेष , बर्तन पर बना मछुवारे का चित्र 


आदि चीजे प्रमुख रूप से प्राप्त हुई है। जो सभ्यता के बारे में बहुत सी जानकारी  उजागर करती हैं। हड़प्पा सभ्यता में बड़े -बड़े नगर तो कम मिले हैं ,किन्तु नगरों की गुणवत्ता कको देखकर इसे नगरीय सभ्यता कहा गया है। 


2. मोहनजोदड़ो - यह स्थल भी हड़प्पा की तरह आज पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के लरकाना जिले में सिंधु नदी के किनारे स्थित। मोहनजोदड़ो का अर्थ `` मृतकों का टीला`` माना जाता है। इसके उत्खननकर्ता राखलदास बनर्जी जी थे इसकी खोज 1922  में हुई। यह स्थल साक्ष्य व अवशेष की दृष्टि से एक प्रमुख स्थल है। यहाँ का विशाल स्नानागार प्रमुख रहा। 


मोहनजोदड़ो से प्राप्त मुख्या साक्ष्य -


> ईंटो से निर्मित विशाल स्नानागार जिसकी लम्बाई चौड़ाई लगभग 12 मी. *7 मी. जिसकी गहराई 3 मी. है। नीचे जाने के लिए सीढियाँ बनी  हुई है। इसी के बगल में कपडे बदलने का भी कमरा बना है। 


> एक विशाल अन्नागार जो की मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी ईमारत है  ,एवं पुरोहितो की मूर्ति के अवशेष प्राप्त हुई है। 


> सीपी की बनी हुई पटरी ,घोड़े के दांत के अवशेष।

> यहाँ से सूती कपडा के कुछ साक्ष्य प्राप्त हुए है 

>  यहाँ से हाथी का कपाल  भी मिला है , कांसे की  नृत्यरत  नारी की मूर्ति , कुछ मटको के अवशेष 


कुछ  तांबे  के ढेर भी मिले जिससे यह अनुमान लगया जा  सकता है  की इस सभ्यता ले लोग ताम्बे का उपयोग जानते थे। इसी लिए इस  सभ्यता को  ताम्र  पाषाणिक  सभ्यता मानते है। 



3. चन्हूदड़ो - यह स्थल  मोहनजोदड़ो  के दक्षिण में स्थित है  इसकी खोज सन  1931 में  गोपाल मजूमदार ने की यहाँ से  विशेष साक्ष्य प्राप्त हुए है। 


यहाँ से  गुरिया बनाने  के लिए कारखाने  के  अवशेष  मिले है ,'झूकर ' एवं  'झांगर ' संस्कृति  के  अवशेष मिले है  हांथी  और  कुत्ते द्वारा बिल्ली का पीछा करते हुए  पैरो के निशान मिले है। 


 4. रोपड़ - यह स्थल सतलज नदी के किनारे  स्थित है। जो की भारत  के पंजाब  प्रान्त  के  रोपड़ जिले में  आता है। इस  स्थल की खोज  1953 में  यज्ञदत्त  शर्मा  ने की। 


यहाँ से मिट्टी के बर्तन ,आभूषण  चार्ट ,फलक एवं तांबे  की कुल्हाड़ी  के अवशेष प्राप्त हुए। 


5. कालीबंगा - इस  स्थल की खोज  ब्रजवासी  लाल एवं  बी. के. थापड़  ने सन  1953 में  की।  यह  स्थल  राजस्थान प्रदेश के गंगानगर जिले में  स्थित है।  यहाँ से एक जुते  हुए खेत  के साक्ष्य मिले  जी की इस स्थल को और भी  पुरातत्विक बनाता है। 


यहाँ से कई अनेक अवशेष भी मिले हुए है  जिनमे से  हवन कुंड होने के साक्ष्य ,शंख ,काँच ,मिट्टी की चूडिया ,खिलौने की गाड़िया ,सिलवट्टे  आदि अनेको चीजे यहाँ से प्राप्त हुई है। 


6. रंगपुर - यह स्थल  गुजरात प्रान्त में पड़ने वाले काठियावाड़  प्रायद्वीप  में मदर नदी से पास स्थित है  इसकी खोज 1953 में रंगनाथ राव जी ने की थी।  यहाँ  से धान  की भूसी के ढेर  मिलने के अवशेष है  साथ ही कच्ची ईंटों के दुर्ग ,नालिया ,पत्थर के फलक आदि चीजे यहाँ से खोजी गई है। 


7. लोथल - यह स्थल गुजरात के अहमदाबाद  जिले  में भोगवा नदी के किनारे सरागवाला  गांव के पास स्थित है। इसकी खोज  1957 में  रंगनाथ  राव  ने की थी।  समुद्र  तट से लगे होने के कारण  यह पश्चिमी व्यापार के लिए मुख्य  स्थल रहा है।  यह  एक बंदरगाह की दृष्टिकोण  से  सिंधु  सभ्यता का प्रमुख  स्थल  था। 

यहाँ से  धान के अवशेष प्राप्त हुए ,फारस की  मुहरे भी मिली हैं।  

मृतभाण्ड ,उपकरण ,मुहरें ,बांट ,के  अवशेष भी  प्राप्त हुए है। 


8. सुरकोतड़ा - इस  स्थल की खोज  1964 में जगपति जोशी ने की।  यह  स्थल गुजरात के  कच्छ  जिले  में स्थित है। यहाँ से घोड़े की अस्थिया  एवं  एक  कब्रगाह  मिला है  साथ यही से  सिंधु घाटी  सभ्यता के पतन  अवशेष  मिलते है  यह स्थल  इस सभ्यता के अंत के बारे में  कई साक्ष्य  पीछे छोड़ कर गया है जो खोज कर्ताओ को मिले है। 


9. वनमाली - इस स्थल की खोज  1973 में  रवींद्र सिंह विष्ट  द्वारा की गई  थी। यह स्थल  हरियाणा प्रांत के हिसार जिले में रंगोई नदी के किनारे है। यहाँ से प्राप्त कुछ महत्वपूर्ण  साक्ष्य  है। जैसे  जौ के दाने  ,हल की  तरह दिखने वाले  खिलौने ,गोलियाँ ,चर्ट के  फलक , मनके , मनुष्य  की मुर्तिया  आदि। 


10. आलमगीरपुर - यह स्थल  सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पूर्वी  स्थल है  यह  उतरप्रदेश  प्रान्त के मेरठ जिले की हिण्डन  नदी के किनारे स्थित है। इस स्थल की खोज  यज्ञदत्त शर्मा  ने की थी।  यहाँ से विशेष रूप से  मिटटी के बर्तन ,मनके एवं पिंड  प्राप्त हुए। इस स्थल की खोज सन 1958 में हुई थी। 


11. सुत्कागेंडोर - यह वर्तमान  पाकिस्तान  के बलूचिस्तान में दाशक नदी के किनारे स्थित है। इस स्थल की पुरातात्विक खोज  ऑरेल स्टाइन  ने की थी। यहाँ विशेष रूप से  अस्थियो से भरा बर्तन ,ताँबे की कुल्हाड़ी ,मिटटी की चूड़ियाँ  मिली है। 

   धौलावीरा कच्छ गुजरात फोटोग्राफर - प्रयाग तिवारी 

12. धौलावीरा - यह स्थल  सिंधु घाटी सभ्यता स्थलों में से सबसे नवीन स्थलों में से एक है। इस स्थल की खोज 1990 -91 में  रविंद्रनाथ विष्ट ने की थी। यह स्थल  गुजरात प्रान्त के  कच्छ जिले में  कच्छ के रण  में बीच स्थित  'खडीर ' द्वीप पर स्थित है। यहाँ  के  पुरात्विक संगहालय में कई अवशेष मौजूद है।  यहाँ भी विशाल  स्नानागार एवं अन्नागार मौजूद है। 


13. कोटदीजी - इस स्थल की खोज  सन 1955 से 1957 के बीच फजल अहमद ने की। यह स्थल पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के खैरपुर जगह पर सिंधु नदी के पास  ही है।  


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