1857 की क्रांति के बाद ये बात स्पष्ट थी की भारतीय राष्टवाद जितना विस्तारित व शसक्त हो चुका था की रजनीति में कोई शक्ति उभर कर आए भारतीय राष्टीय कांग्रेस के आने से पहले कई संगठन आ चुके थे जो भारतीय राजनीती के लिए महत्वपूर्ण थे -
कांग्रेस के गठन से पूर्व की संस्थाए -
१. बंगभाषा प्रकाशक सभा -1836 में गठित ,बंगाल का सर्वप्रथम राजनीति संगठन
२. जमींदारी एसोसिएशन - जुलाई 1838 में जमींदारी एसोसिएशन का गठन हुआ जिसका उद्देश्य जमीदारो के हितो की सुरक्षा से था यह भारत की पहली राजनीति सभा थी
३. बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसायटी - 1843 में बनाई गई यह राजनितिक सभा का उद्देश्य लोगो में राष्ट्रवाद के विचार को बढ़ाना तथा राजनितिक शिक्षा के लिए आगे लाना था
४. ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन - 1851 में सामने आई यह संस्था पिछली दो संस्थाओ के विलय होने के बाद यह संस्था सामने आई 1838 मे बनी जमींदारी एसोसिएशन तथा 1843 में बनी ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी के विलय से यह संस्था ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन लोगो के बीच आई
५. ईस्ट इंडिया एसोसिएशन - 1866 में गठित यह संस्था लंदन में कार्य कर रही थी दादा भाई नौरोजी द्वारा गठित यह संस्था भारत के लोगो की समस्या और मांग को ब्रिटेन में उठाया साथ ही इंग्लैंड में भारतीय जन समर्थन के पक्ष में भी कार्य कर रही थी
६. पूना सार्वजनिक सभा - 1867 में महादेव गोविन्द रानाडे ने पूना सार्वजनिक सभा की स्थापना की जिसका सीधा लक्ष्य व उद्देश्य सरकार और जनता के मध्य सेतु का कार्य करना था
७. इंडियन लीग - 1875 मे शिशिर कुमार घोष ने स्थापना की जिसका उद्देश्य राष्ट्रवाद व शिक्षा के स्तर में सुधार था !आगे चल कर इस संस्था के जगह इंडियन एसोसिएशन ऑफ कलकता[जिसे इंडियन नेशनल एसोसिएशन के नाम से जाना जाता है ] 1876 में सामने आई! सुरेन्द्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस इसके प्रमुख थे
८. मद्रास महाजन सभा - मई 1884 में एम. वीराराघवाचारी,बी.सुब्रह्मण्यम एवं पी. आनंद चार्लू ने की
९. बॉम्बे प्रेसिडेंसी एसोसिएशन -1885 में सैय्यद बदरूदीन तैय्यबाजी ,फिरोजशाह मेहता को जाता जाता है
इस प्रकार अखिल भारतीय कांग्रेस की नींव का काम किया ये सभी संस्थाओ ने आगे चल कर 28 दिसम्ब 1885 में सेवानिवृत अंग्रेज अधिकारी ए.ओ.ह्यूम के प्रयासों से कांग्रेस की स्थापना हुई साथ ही सुरेंद्रनाथ बनर्जी तथा आनंद मोहन बोस का भी बड़ा प्रयास रहा
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सभी अधिवेशन 1885 - 1950 -
१. बम्बई - 1885 में हुआ ये अधिवेशन जिसकी अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी ने की साथ ही 72 प्रतिनिधियों ने इस बम्बई अधिवेशन में भाग लिया !यह कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन माना जाता है कांग्रेस के उद्देश्य व लक्ष्य तय किए गए !सिविल सेवा की परीक्षा भारत में भी लिया जाए ऐसे मुद्देपर चर्चा हुई
२. कलकता -1886 में हुए इस अधिवेशन की अध्यक्षता दादाभाई नौरोजी[प्रथम गैर हिन्दू अध्यक्ष ] ने की साथ ही 436 प्रतिनिधियों ने भाग लिया ! न्यायपालिका तथा कार्यपालिका को पृथक करने की मांग उठाई गई
३. मद्रास - 1887 इस अधिवेशन की अध्यक्षता बदरुद्दीन तैयबजी[प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष ] ने की साथ ही 607 प्रतिनिधिओ ने भाग लिया शस्त्र अधिनियम में संशोधन ,सैनिक कॉलेज की स्थापना !
४. इलाहाबाद - 1888 इस अधिवेशन की अध्यक्षता जॉर्ज यूल [प्रथम अंग्रेज अध्यक्ष ]ने की इसमें 1248 प्रतिनिधिओ ने भाग लिया !
५. बम्बई -1889 इस अधिवेश की अध्यक्षता विलियम वेडरबर्न की इस अधिवेशन में 1889 प्रतिनिधि शामिल हुए
इसमें लागत नीति में सुधार की मांग
६. कलकता - 1890 इस अधिवेशन की अध्यक्षता फिरोजशाह मेहता ने की इस अधिवेशन में कुल 677 प्रतिनिधि शामिल हुए ! इस अधिवेशन में कांग्रेस के किसी भी अधिवेशन में किसी भी सरकारी अधिकारी के भाग लेने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया !
७. नागपुर - 1891 इस अधिवेशन की अध्यक्षता पी.आनंद चारलू ने की इस अधिवेशन में 812 प्रतिनिधिओ ने भाग लिया
८. इलाहाबाद - 1892 इस अधिवेशन की अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी ने की साथ ही इसमें 625 प्रतिनिधिओ ने भाग लिया इस अधिवेशन में मुद्रा नीति में सुधार की मांग उठाई गई
९. लाहौर - 1893 इस अधिवेशन की अध्यक्षता दादाभाई नौरोजी [दूसरी बार अध्यक्ष ] ने किया इस अधिवेशन में कुछ 867 प्रतिनिधियों ने भाग लिया बेगार प्रथा को ख़त्म करने और स्वतंत्र सिविल सर्विस संगठन बनाने की मांग उठाई गई
१०.मद्रास - 1894 इस अधिवेशन की अध्यक्षता अल्फ्रेड वेब ने की इस अधिवेशन में 1163 प्रतिनिधिओ ने भाग लिया कांग्रेस का संविधान बनाया गया और सूती वस्त्र उद्योग के हितो की रक्षा करने ,पुलिस अधिनियम की कुछ धाराओं को हटाने की मांग उठाई गई
११.पूना -1895 इस अधिवेशन के अध्यक्ष रहे सुरेंद्र नाथ बनर्जी। रेल यात्रिओ को अधिक सुविधा देने और किसान ऋण का निराकरण जैसी मांग उठाई गई
12. कलकता - 1896 इस अधिवेशन की अध्यक्षता रहमतुल्ला सयानी ने की इस अधिवेशन में कुछ 784 प्रतिनिधि आए भारत का राष्टीय गीत ``वन्देमातरम`` प्रथम बार यहीं गाया गया साथ ही प्रांतो को आर्थिक स्वतंन्त्रता देने की मांग
13. अमरावती - 1897 शंकरन नायर ने इस अधिवेशन की अध्यक्षता की इस अधिवेशन में कुल प्रतिनिधि 692 थी 1897 ई. के राष्ट्र द्रोह एक्ट का विरोध !
14. मद्रास - 1898 इस अधिवेशन की अध्यक्षता आनंद मोहन बोस ने की 614 कुल प्रतिनिधि इस अधिवेशन में शामिल हुए
15. लखनऊ - 1999 इस अधिवेशन की अध्यक्षता रमेश चंद्र ने की
- प्रयाग तिवारी [आत्मपूर्ण ]
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