प्राचीन भारत
सिन्धु घाटी सभ्यता क्या है -
What is Indus Valley Civilization -
सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे उपयुक्त नाम 'हड़प्पा सभ्यता' है। ऋग्वेद में हड़प्पा सभ्यता को 'हरियूपिया' कहा गया। वहीँ सिंधु सभ्यता का सबसे प्राचीन नाम 'मेलुहा'' है
हड़प्पा सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओ में से एक है। यह प्रथम नागरिक सभ्यता को दर्शाती है। इसका क्षेत्रीय विस्तार नगर नियोजन ,सामाजिक संस्कृति विविधता ,विशाल स्नानागार ,अन्नागार इसे एक विशिष्ट सभ्यता के रूप में स्थापित किया। काल निर्धारण विधि की रेडियो कार्बन रेटिंग C14 के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2500 ई. पू. से 1750 ई. पू. माना गया है।
हड़प्पा सभ्यता कांस्ययुगीन सभ्यता है। कुछ इतिहासकार इसे ताम्र पाषाणिक सभ्यता मानते है
हड़प्पा सभ्यता का उदभव एवं विस्तार -
Origin and expansion of Harappan civilization -
हड़प्पा सभ्यता का उदभव ताम्रपाषाणिक काल में वर्तमान भारत के पश्चिम मे तथा पाकिस्तान व अफगानस्थान के कुछ क्षेत्रों में हुआ , अनेक खोजो और साक्ष्य के बाबजूद इसके उदभव के बारे में स्पष्ट जानकारी लगा पाने में बहुत सी कमिया और समस्या है।
चलिए देखते है कुछ इन्ही बिंदु को -
1. सिंधु घाटी सभ्यता से मिले साक्ष्य गूढ़ और अस्पष्ट हैं।
2. यहाँ से मिली लिपि का ज्ञान न होने के कारण स्पष्ट व्याख्या नहीं हो पाती है।
3. सभ्यता स्थलों का सही से खनन न हो पाना।
4. पुरे तरीके से साक्ष्यों का न मिल पाना।
5. अत्यधिक आधुनिक संसाधनों की कमि जो सभ्यता की जानकारी में उपयोगी हो।
6. सिंधु घाटी सभ्यता कालीन साहित्यिक प्रमाणों का आभाव रहा।
7. क्षैतिज उत्खनन का न होना।
हड़प्पा सभ्यता का पता कब लगा -
When did the Harappan civilization come to know?
आधुनिक भारत के समय, लगभग 5000 वर्ष पुरानी एवं पूर्ण विकसित इस सभ्यता का पता तब लगा। जब सन 1856 में ब्रिटिश सरकार ने करांची से लाहौर [वर्तमान पाकिस्थान ]तक रेलवे लाइन बिछवाने के लिए ईंट की आपूर्ति के लिए इन खंडरो की खुदवाई कराई तभी इसमें से कई मृत भांड साक्ष्य सिक्के मिलने लगे। तभी वैज्ञानिक व इतिहासकार द्वारा इसे प्राचीन सभ्यता स्थल बताया गया।
सर्वप्रथम चार्ल्स मैसन ने सन 1826 में सर्वप्रथम हड़प्पा नामक स्थल के बारे में लिखा। इस अज्ञात सभ्यता की खोज का श्रेय रायबहादुर दयाराम साहनी जी को जाता है। इनके द्वारा ही पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिर्देशक सर जॉन मार्शल के निर्देशन में सन 1921 में हड़प्पा स्थल की खुदाई शुरू करवाई गई।
सिंधु घाटी सभ्यता नाम क्यों पड़ा -
Why Indus Valley Civilization Named
सिंधु घाटी के पास इस नवीनतम स्थल के प्रकाश में आने बाद या खोज के बाद संभवता यह अनुमान लगाया गया की यह स्थल या यह सभ्यता सिंधु घाटी तक ही सीमित है अतः इस सभ्यता का नाम सिंधु घाटी की सभ्यता रखा गया।
सिंधु घाटी सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता क्यों पड़ा -
Why Indus Valley Civilization got the name Harappan Civilization -
जब सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष सिंधु घाटी की सीमाओं से बहार भी मिलने लगे। इस सभ्यता का प्रथम अवशेष हड़प्पा नामक स्थल ही प्राप्त हुए थे। सिंधु घाटी के बहार मिले सभी स्थल के विस्तार को हड़प्पा सभ्यता कहाँ गया।
इस सभ्यता का विस्तार जम्मूकश्मीर के माण्डा से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी के किनारे दैमाबाद तक और पूर्व में उत्तर प्रदेश के मेरठ के निकट आलमगीर से लेकर पश्चिम में सुल्कागेंडोर तक विस्तृत है। इस संपूर्ण सभ्यता के विस्तार को ही हड़प्पा सभ्यता कहते है। भारत में इस सभ्यता के लगभग 1000 स्थलो का पता लगा है।
सप्त सैंधव प्रदेश क्या है- सप्त सैंधव प्रदेश किसे कहते है -
Who is Sapta Sandhav Pradesh
सात नदियों के पास मिले स्थलों और सात नदियों के इस क्षेत्र को ही सप्त सैंधव प्रदेश कहते है यह आर्य लोगो का प्रारंभिक स्थल रहा है ,सप्त सैंधव में सिंधु नदी 4 उसकी सहायक तथा सरस्वती नदी आती है।
हड़प्पा सभ्यता का नगर नियोजन कैसा था -
How was the city planning of the Harappan civilization -
> नगर - पूर्व दिशा में स्थित टीले पर नगर ,आवास क्षेत्र के अवशेष मिले हैं। जबकि पश्चिम दिशा के टीले पर गढ़ी या दुर्ग साक्ष्य मिले हैं।
> मकान - घरो के दरवाजे एवं खिलड़किया सड़क की ओर नहीं खुलते बल्कि पीछे की ओर खुलते हैं
> सड़कें - सिंधु सभ्यता में सड़को का जाल नगर को कई भागो में विभाजित करता था। सड़कें पूर्व से पश्चिम एवं उतर से दक्षिण की ओर जाती हुई एक दूसरे को समकोण पर काटती हैं
हड़प्पा सभ्यता की आर्थिक स्थिति -
Economic condition of Harappan civilization -
> सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों की प्रमुख फसलें गेंहू और जौ थी।
इसके अलावा मटर ,सरसों ,तिल ,कपास की भी खेती करते है।
इस सभ्यता के लोगों ने ही सर्वप्रथम कपास उगना शुरू किया।
> इस सभ्यता लोग मुख्यता बैल ,भैंस ,गाय, भेंड़ ,बकरी कुत्ता एवं गधे आदि को पाला करते थे।
> सिंधु घाटी सभ्यता के समय ही तांबे में टिन मिलाकर कांसा तैयार किया जाता है
> तौल की इकाई 16 के अनुपात में थी।
सैंधव सभ्यता के पतन से सम्बंधित प्रमुख इतिहासकार के मत -
> जॉन मार्शल - ' प्रशासनिक शिथिलता के कारण इस सभ्यता का विनाश हुआ '
> एम आर साहनी - ' भूतात्विक परिवर्तन के कारण यह सभ्यता नष्ट हुई।
> डी. डी. कौशाम्बी - 'मोहन जोदड़ो के लोगो की आग लगाकर हत्या कर दी गई।
> आरेन स्टाइन - 'जलवायु सभ्यता बाढ़ के कारण नष्ट हुई '
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1 टिप्पणियाँ
Bahut khoob... information
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