business studies:12th lasson 2 - principles of management,प्रबंध के सिध्दांत|अति लघु उतरीय short answer





 business studies:12th lasson 1-principles  of  management,प्रबंध के सिध्दांत । व्यवसाय अध्ययन 


CBSE/NCERT द्वारा अनुशंसित पाठ्यक्रम पर आधारित मध्यप्रदेश ,छतीसगढ़ ,राजस्थान ,झारखण्ड ,दिल्ली एवं अन्य राज्यों के छात्रों के अध्ययन हेतु - संपूर्ण  पाठ्यक्रम  के प्रश्न और उत्तर  के साथ  इस श्रृंखला  को आप अभी के लिए विशेष तैयार किया  गया है। 


अति लघु उतरीय  प्रश्न - 

1. प्रबंध के सिद्धांतों से आप क्या समझते हैं बताइए। 

answer - किसी  क्षेत्र  में व्यवस्थित  ढंग से कार्य संपन्न करने के लिए कुछ  नियम ,ढंग व परम्पराएं होती है। इनका पालन करते हुए कार्य संपन्न  करने में काफी सुविधा होती है। अतः इन्हीं  परम्पराओं  व  नियमो को हम सिद्धान्त कहते है। हेनरी फेयोल को प्रबंध के सिध्दान्तों  का जनक माना जाता है। 


2. वैज्ञानिक प्रबंध का क्या अर्थ है। 

answer - वैज्ञानिक  प्रबंध से आशय विभिन्न प्रयोगों एवं खोजों  searches  के आधार पर प्राप्त ज्ञान  सहायता  से किसी  कार्य को सुनियोजित  व  व्यवस्थित  ढंग  से संपन्न करने की कला से है। वैज्ञानिक प्रबंध एक विस्तृत  शब्द  है जिसके अंतर्गत प्रबंध की इन समस्त आधुनिक तकनीक  को शामिल   किया जाता है जो व्यवस्थित  ढंग से कार्य  करने में सहायक सिध्द हो  सके। 

सर  अलेक्जैंडर फ्लैक  के अनुसार - " विज्ञान अवलोकन तथा प्रयोगों  को  सिध्दांतो के रूप में ढालकर बनाये गए  संगठित  ज्ञान के मार्ग के माध्यम से  विश्व को समझने का एक ढंग है "


3. प्रबंध  के सिध्दांतो की किन्ही दो विशेषताओं को समझाइए। 

answer - 1. सिध्दान्तों  की सार्वभौमिकता [ universality of  principles ] - 

प्रबंध  के सिध्दान्त  प्रत्येक संगठन ,समूह व स्थान पर  समान रूप से लागू  होते  हैं  चाहे वह सरकारी संगठन या संस्था  हो या व्यावसायिक संगठन हो। इसलिए हेनरी फेयोल ने प्रबंध के सिध्दांतो की सार्वभौमिकता  पर बल दिया है  

          2. सिध्दान्त  गत्यात्मक  प्रकृति  के  [ dynamic nature of principles ]- प्रबंध  के सिध्दान्त गत्यात्मक  व  लोचपूर्ण  होते है।  इनके सिध्दांतो अन्य  भौतिक  व रसायन  तथा गणित  शास्त्र की तरह स्थिर नहीं होते। कारण  एवं प्रभाव से प्रबंध के सिध्दांत बदल जाते है। प्रबंध के महत्वपूर्ण  सिध्दांत जो कभी महत्वपूर्ण थे वे आज  सामाजिक परिवर्तन के कारण  परिवर्तित हो गए हैं। 


4. प्रबंध  के सिध्दांतो की  सार्वभौमिकता से आप क्या समझते है। 

answer -  प्रबंध के सिध्दान्तों  की सार्वभौमिकता [ universality of  principles ] - 

प्रबंध  के सिध्दान्त  प्रत्येक संगठन ,समूह व स्थान पर  समान रूप से लागू  होते  हैं  चाहे वह सरकारी संगठन या संस्था  हो या व्यावसायिक संगठन हो। इसलिए हेनरी फेयोल ने प्रबंध के सिध्दांतो की सार्वभौमिकता  पर बल दिया है। 


5.  समय एवं गति अध्ययन क्या है। 

answer - प्रबंध  सम्बन्धी अनुसन्धान  का पहला  कार्य  समय अध्ययन है। समय  अध्ययन  के अंतर्गत टेलर ने यह  देखा  कि  एक श्रमिक किसी कार्य को  करने में कितना समय लगया है।  समय  अध्ययन  प्रमाणित कार्य के लिए  समय का निर्धारण। 

जॉन ए. भुविन  के अनुसार - " किसी दिए गए कार्य के निष्पादन  में  लगने वाले समय का विश्लेषण और निर्धारण  समय अध्ययन  कहलाता है। "

गति अध्ययन - किसी कार्य  को करने के श्रेष्ठ  तरीके को ज्ञात करना ही गति अध्ययन कहलाता है। इस अध्ययन का  आधार  यह है की किसी कार्य को करने में श्रमिक को कितने बार हाथ पैर हिलना पड़ता है। क्योंकि  ये हरकतें जितनी अधिक होगीं कार्य करने की गति उतनी कम हो जाएगी  तथा थकावट उतनी ही अधिक होगी। 


6. अर्थ एवं लक्ष्य के आधार पर आदेश की एकात्मकता और निर्देश की एकात्मकता के सिध्दांत के बीच अंतर कीजिए। 

answer - आदेश  की एकता का सिध्दांत [principle of unity of  command ] - इस  सिध्दांत  के अंतर्गत कर्मचारी  को आदेश  एक ही अधिकारी से मिलना  चाहिए ,क्योंकि अनेक  अधिकारियों  के आदेश  भी अलग अलग  होंगे ऐसी दशा में कर्मचारी किस आदेश का पालन करे ,यह दुविधा  की स्थिति होती है। अतः प्रत्येक कर्मचारी  को चाहे वह किसी  भी  स्तर  क्यों न हो, आदेश एक ही अधिकारी से मिलना  चाहिए। 

  निर्देश की एकता का सिध्दांत - principle of  unity of  direction - 

कार्य के दौरान कर्मचारी को किसी एक ही निर्देशक से निर्देश चाहिए।  ताहि उस निर्देश का पूर्ण रूप से पालन किया जा सके।  एक से अधिक निर्देश की स्थिति में कार्य में रूकावट आती है। 


7. निम्नलिखित सिध्दांतों की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए। 

1. कार्यकाल में स्थायित्व का सिध्दांत , 2. पहल का सिध्दांत 

answer - 1.स्थायित्व का सिध्दांत - principal of stability - 

फेयोल नव कहा  की कार्य की अवधियों में कर्मचारियों में अपनी सेवा ,नौकरी के प्रति स्थायित्व व सुरक्षा  भावना होनी चाहिए। इस हेतु उपक्रम को आवश्यक कदम उठाना चहिये ,स्थायित्व का गुण न होने से एक तो कर्मचारी पूर्ण क्षमता व लगन से कार्य नहीं करेगा ,दूसरी ओर अन्य श्रेष्ठ व स्थायी रोजगार की प्राप्ति हेतु प्रयास करेगा। इस सन्दर्भ में ध्यान रखना चाहिए कि 'एक मध्यम स्तर का स्थायी कर्मचारी,उच्च स्तर के अस्थायी कर्मचारी से श्रेष्ठ  होता है। '

    2. पहल शक्ति का  सिध्दांत - principle of corpse initiative - इस सिध्दांत के अनुसार प्रत्येक कर्मचारी ,अधिकारी  को प्रत्येक कार्य को सोचकर योजना बनाने के लिए पहल करना चाहिए। तथा आवश्यक सुझाव देने के लिए  प्रबंध द्वारा अधिकार देना चाहिए। 


9. टेलर के तीन सिध्दांतो की व्यख्या करो -

answer - [1.] कार्यानुमान का सिध्दांत principle of task idea - टेलर के अनुसार प्रत्येक कार्य को प्रारम्भ करने के पूर्व  उस कार्य के सम्बन्ध  में पूर्वानुमान forecasting लगा लेना चाहिए ,जैसे - कार्य करने में कितना समय लगेगा ,उस पर अनुमानित व्यय कितना होगा ,कार्य के दौरान क्या क्या परेशानियाँ आ सकती है ,उन्हें कैसे हल कर सकते है। कार्य के दौरान सामान्य दशायें रहने पर कार्य का प्रमाप standard निर्धारित कर लेना चाहिए। यही कार्यानुमान  का सिध्दांत है। 

         [2.] प्रयोगों का सिध्दांत - PRINCIPLE OF EXPERIMENT - श्रमिकों की कार्य क्षमता में वृद्धि करने के लिए इस सिध्दांत में टेलर ने 3 प्रयोगों का प्रतिपादन किया जो निम्नलिखित हैं -

              1. समय अध्ययन - प्रबंध  सम्बन्धी अनुसन्धान  का पहला  कार्य  समय अध्ययन है। समय  अध्ययन  के अंतर्गत टेलर ने यह  देखा  कि  एक श्रमिक किसी कार्य को  करने में कितना समय लगया है।  समय  अध्ययन  प्रमाणित कार्य के लिए  समय का निर्धारण। 

जॉन ए. भुविन  के अनुसार - " किसी दिए गए कार्य के निष्पादन  में  लगने वाले समय का विश्लेषण और निर्धारण  समय अध्ययन  कहलाता है। "

           2. गति अध्ययन - किसी कार्य  को करने के श्रेष्ठ  तरीके को ज्ञात करना ही गति अध्ययन कहलाता है। इस अध्ययन का  आधार  यह है की किसी कार्य को करने में श्रमिक को कितने बार हाथ पैर हिलना पड़ता है। क्योंकि  ये हरकतें जितनी अधिक होगीं कार्य करने की गति उतनी कम हो जाएगी  तथा थकावट उतनी ही अधिक होगी।

        3. थकान अध्ययन  FATIGUE STUDY - कार्य  करने के दौरान श्रमिक जल्दी क्यों थक जाता है। इसका अध्ययन थकान  अध्ययन कहलाता है।  

      [3.]नियोजन का सिध्दांत   - PRINCIPLE OF TASK PLANNING - टेलर के अनुसार प्रत्येक उपक्रम में एक योजना विभाग होना चाहिए  उपक्रम के समस्त कार्यो की योजना बनाकर प्रतिदिन  सूचना  पटल पर प्रदर्शित करे। इससे प्रत्येक कर्मचारी को कारखाने में कार्य करने वाले कर्मचारी की कार्य स्थिति  WORKING POSITION  की जानकारी मिल जाती है। 


10. थकान अध्ययन के  उद्देश्य समझाइए। 

answer - थकान अध्ययन  FATIGUE STUDY - कार्य  करने के दौरान श्रमिक जल्दी क्यों थक जाता है। इसका अध्ययन थकान  अध्ययन कहलाता है।  

" यदि कोई श्रमिक  अधिक  मेहनत करता है ,तो  उसकी  कार्यकुशलता एवं क्षमता में  शिथिलता  आ  जाती है। अतः यह  आवश्यक है की एक निश्चित समय के बाद श्रमिक को आराम दिया जाये तथा अन्य आवश्यक सुविधाएं  भी प्रदान की जाएँ। "

थकान अध्ययन  श्रमिक एवं मजदूर की वर्तमान हालत एवं  कार्य कुशलता के साथ कार्य क्षमता  को सुधारने  एवं बढ़ने के उद्देश्य  महत्वपूर्ण है  


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