business studies:12th lasson 1- nature and significance of management ,प्रबंध की प्रकृति एवं महत्त्व। long answer part 2

 



 business studies:12th lasson 1- nature and significance of management ,प्रबंध की प्रकृति एवं महत्त्व। व्यवसाय अध्ययन 



cbsc  NCERT द्वारा अनुशंसित पाठ्यक्रम पर आधारित मध्यप्रदेश ,छतीसगढ़ ,राजस्थान ,झारखण्ड ,दिल्ली एवं अन्य राज्यों के छात्रों के अध्ययन हेतु - संपूर्ण  पाठ्यक्रम  के प्रश्न और उत्तर  के साथ  इस श्रृंखला  को आप अभी के लिए विशेष तैयार किया  गया है। 

✌✌ https:business-studies12th-lasson-1-nature.html - अति लघुउत्तरीय  और  लघुउत्तरीय  के लिए  इसे खोलें 


दीर्घ उतरीय प्रश्न - 

1. प्रबंध एवं  प्रशासन को परिभाषित कीजिए। प्रबंध प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है  ?

answer - बन्ध तथा प्रशासन दो ऐसे शब्द है जिन्हें व्यापार एवं वाणिज्य के क्षेत्र में समानार्थी शब्द के रूप में प्रयोग करते है। 

प्रारंभिक काल में इन दोनों में कोई अंतर नहीं था किन्तु प्रबन्ध के कार्यो की स्पष्ट रेखा खींच जाने से प्रबंध व प्रशासन को अलग अलग माना जाने लगा है।


ओलिवर शेल्डन ने परिभाषित किया।- "प्रशासन का कार्य किसी विशेष उद्योग में कंपनी की भाँति नीतियों का निर्धारण ,वित् ,उत्पादन एवं वितरण में समन्वय बनाये रखना , संगठन क्षेत्र को निश्चित और कार्यकारिणी का अंतिम रूप से नियंत्रण करना है "
  
प्रबंध तथा प्रशासन एक दूसरे के पर्यावाची है - [management and administration are synonyms ]- प्रबंध तथा प्रशासन दोनों  एक दूसरे के पर्यायवाची हैं इस विचारधारा के समर्थक हेनरी  फेयोल ,न्यूमैन ,कुन्टज एवं ओ ' डोनेल  ,ऐलन आदि प्रमुख हैं। 
इस सम्बन्ध में डॉ. किम्बाल का कहना है - "प्रबन्ध  व प्रशासन के मध्य अंतर करना भ्रम  को बढ़ावा देता है ,ये दोनों शब्द पर्यावाची हैं। 

प्रशासन शब्द का प्रयोग अधिकांशतः सार्वजनिक प्रशासन के क्षेत्र  में किया जाता है जबकि व्यावसायिक जगत में प्रबंध शब्द का प्रयोग  किया जाता है। 

प्रबंध एवं प्रशासन में अंतर । 
[DIFFERENCE BETWEEN MANAGEMNT AND ADMINISTRATION ] 

answer -  प्रशासन का कार्य व्यवसाय के उद्देश्यों ,नीतियों व योजनाओं को सुनिश्चित करता है तथा आवश्यक निर्णय लेकर व्यावसायिक क्रियाओ पर नियंत्रण करना है। 
जबकि प्रबंध का कार्य प्रशासन द्वारा निर्धारित 
की गई नीतियों व योजनाओं को कार्य रूप में परिणय करता है। 

इस प्रकार इन दोनों में मात्र कार्य के स्वरुप का अंतर है। 

1. नीतियाँ निर्धारित करना - जिन उद्देश्यों के लिए किसी संस्था की स्थापना की जाती है उन उदेश्यों को प्राप्त करने  के लिए योजनाएं व नीतियां प्रशासन द्वारा बनाई जाती है।  प्रबंध का कार्य प्रशासन द्वारा बनाई गई योजनाओं  को क्रियान्वित करना है। इसके लिए संगठन ,निर्देशन ,नियंत्रण ,अभिप्रेरण व  समन्वय कार्य प्रबन्ध करता है। 

2. स्वामी सेवक का सम्बन्ध - प्रशासन व्यवसाय का स्वामी होता है अतः वह पूँजी श्रम ,साहस व संगठन उपलब्ध कराता  है। जबकि प्रबन्ध संस्था के सेवक या कर्मचारी होते हैं ये अपनी कला -कौशल व ज्ञान के संगठन के कार्यों को संप्पन्न करते हैं। 

3. प्रतिफल प्राप्त करना - प्रशासन को अपनी पूँजी बदले लाभ प्राप्त होता है जबकि प्रबंध को अपने कार्य के बदले पारिश्रमिक या वेतन प्राप्त होता है। 

4. समन्वय एवं नियंत्रण - प्रशासन का कार्य वित ,उत्पादन एवं वितरण में समन्वय बनाए रखना है। प्रबंध का कार्य  संगठन में पूर्ण नियंत्रण रखकर नीतिओं को क्रियान्वित कराना है। 

5. कार्य का स्तर - प्रशासन सर्वोच्य या उच्य का प्रबंध माना जाता है जबकि प्रबंध का स्तर मध्यम एवं निम्न श्रेणी का होता है। 

6. निर्देशों का पालन - प्रशासन द्वारा निर्देश जारी किये जाते हैं इस निर्देशों का पालन कराना प्रबंध का कार्य है। 

7.प्रबंध  एवं प्रशासन शब्दों का प्रयोग - प्रशासन शब्द का प्रयोग सामान्यतः  सरकारी क्षेत्र में किया जाता है जबकि प्रबंध शब्द का प्रयोग गैर  - सरकारी उपक्रमों व  संस्थाओं में अधिक किया  जाता है। 

8. ज्ञान की आवश्यकता - प्रशासकीय अधिकारीयों या वर्ग को प्रशासन अनुभव की अधिक  आवश्यकता होती है जबकि प्रबंध  अधिकारियों को प्रबंध से सम्बंधित  तकनीकी ज्ञान तथा प्रबंधकीय ज्ञान आवश्यकता है। 


2. प्रबंध  किसे कहते हैं ? प्रबंध की विशेषताओं को समझाइये। 
answer - प्रबंध एक प्रक्रिया है जिसका वर्तमान समय में विभिन्न अर्थों में प्रयोग किया जाता है इसके अंतर्गत विभिन्न क्रियायें ,जैसे नियोजन ,संगठन ,नियुक्तियां ,निर्देशन ,नियंत्रण ,समन्वय आदि को शामिल किया जाता है 
"प्रबंधन व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह है जो नियोजन के अनुरूप निर्देशन व नियंत्रण करता है।"

दो परिभाषाएँ - 1. एफ. डब्ल्लू टेलर के अनुसार - "प्रबंध यह ज्ञात करने की कला है कि आप क्या करना चाहते हैं तत्प्श्चात  यह देखना की सर्वश्रेष्ठ एवं मितव्ययितापूर्ण ढंग से कैसे किया जाता है। 

2. हेनरी फेयोल के अनुसार - "प्रबंध का आशय पूर्वानुमान लगाना एवं योजना बनाना ,आदेश देना ,समन्वय करना तथा नियंत्रण करना है "

3. लारेन्स ए. एप्पले के अनुसार - "प्रबंध व्यक्तियों का विकास है न की वस्तुओं का निर्देशन। "


प्रबंध  की विशेषताएँ - 
1. प्रबंध एक प्रक्रिया  है - management is a process -
विभिन्न  विद्वानों  ने प्रबंध को एक प्रक्रिया की  संज्ञा दी है ,प्रबंध एक ऐसी प्रक्रिया है जो  निरंतर चलती ही रहती है इसलिए इसे निरंतर प्रक्रिया continuous  process भी कहा  गया है। 

2. प्रबंध एक पेशा है - management is a profession -
व्यवसाय  का निरंतर विकास होने से प्रबंध व  स्वामित्व के अलग अलग  जाने के कारण  प्रबंधकीय कार्य विशिष्ट ज्ञान ,कला ,कौशल व  योग्यता  से सम्बंधित  हो गया है।  
जिससे प्रबंधकीय कार्य पेशे  के रूप में अपनाया जाने लगा है। 

3. प्रबंध एक प्रणाली  है - management is a system -
प्रबंध  को एक प्रणाली या पध्दति के रूप में भी स्वीकार किया गया है। पद्धति या प्रणाली  विभिन्न वस्तुओं या भाग का संयोजन है जो एक जटिल  इकाई बनाती है। अतः यह एक प्रणाली है। 

4. प्रबंध  एक  जन्मजात व अर्जित प्रतिभा है  - mangement is an acquired  and  inborn quality -
प्रबंध एक जन्मजात ,वंशानुगत या पारिवारिक प्रतिभा  है क्योंकि यह  धारणा  भी सत्य है की एक गायक का बेटा  गायक व एक नर्तकी का  बेटा /बेटी  नर्तकी अवश्य होगी। राजनीति में भी नेता की संतानों में नेता के गुण  अधिक  परिभाषित होते है। अतः प्रबंध एक जन्मजात प्रतिभा है। 

5. प्रबंध  कला एवं विज्ञान  दोनों है  - management is both science and art  -
प्रबंध में कला से सम्बंधित समस्त गुण  विद्यमान हैं अतः प्रबंध एक कला  है इसी प्रकार विज्ञान के अधिकांश गुण प्रबंध में दृष्टिगोचर होते हैं अतः यह विज्ञान  भी है ,अतः यह कला एवं विज्ञान दोनों हैं। 

6. प्रबंध सार्वभौमिक है - MANAGMENT IS UNIVERSAL -
प्रबंध घर में ,स्कूल  में ,संगठन में , धार्मिक संस्थाओं के व्यवसाय में ,उद्योग में  ,व्यापार में ,परिवहन में सभी जगह व्याप्त है। अतः यह सर्वभौमिक  होता है ,जो सभी जगह व्याप्त है। प्रबंध के बिना किसी भी  क्षेत्र  में , किसी भी स्थान में कार्य विधिवत ,क्रमवार  व पूर्व  उद्देश्यानुसार  संपन्न  नहीं किया जा सकता है। 

7. प्रबंध सभी स्तरों  पर आवश्यक है  - MANAGEMENT IS NEEDED AT  ALL LEVELS - 
संगठन किसी भी स्तर  का क्यों न हो उसमें प्रबंध का अस्तित्व अवश्य रहता है। सामान्यतः प्रबंध के तीन स्तर होते है उच्च ,मध्यम  व  निम्न स्तरीय प्रबंध।  उच्च स्तर पर संचालन मंडल एवं जनरल मैनेजर प्रबंधकीय कार्य  देखते है। जबकि मध्यम स्तर पर विभिन्न विभागों के विभाग  प्रमुख प्रबंध का  कार्य करते हैं। निम्न स्तर पर निर्णयों की अपेक्षा पर्वेक्षण  SUPERVISION  संबंधी  कार्य अधिक किये जाते है। इस प्रकार  संगठन के सभी स्तरों  पर  प्रबंध आवश्यक है। 

8.  प्रबंध  उद्देश्यपूर्ण होता है - MANAGEMENT IS PURPOSEFUL -
प्रबंध  सदैव उद्देश्यपूर्ण होता है क्योंकिं निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु ही प्रबंध  द्वारा विभिन्न कार्यों   संपन्न कराया जाता है। प्रबंध का उद्देश्य स्पष्ट या  गर्भित कोई भी हो सकता है। संस्था के लक्ष्यों को प्राप्त  करने का एकमात्र  साधन प्रबंध ही है। 

9. प्रबंध एक  समूह है - समूह  शब्द के बिना प्रबंध की बात करना मूर्खता  होती होगी क्योंकि  प्रबंध सदैव दो या दो से अधिक व्यक्तियों का समूह होता है। 



3. प्रबंधकीय दृष्टिकोण या विचारधारा को निम्न शीर्षकों में समझाइये। 1. प्रबंध एक प्रक्रिया के  रूप में  2. प्रबंध एक शास्त्र के रूप में  3. प्रबंध एक समूह के रूप में। 

answer - १,प्रबंध एक प्रक्रिया के रूप में - 
विभिन्न  विद्वानों  ने प्रबंध को एक प्रक्रिया की  संज्ञा दी है ,प्रबंध एक ऐसी प्रक्रिया है जो  निरंतर चलती ही रहती है इसलिए इसे निरंतर प्रक्रिया continuous  process भी कहा  गया है। 
प्रबंध को एक प्रक्रिया के रूप में भी स्वीकार्य  किया गया है। डाल्टन मैकफलेण्ड  के अनुसार - " प्रबंध एक प्रक्रिया है ,जिसके द्वारा प्रबंधक व्यवस्थित ,समन्वित एवं  सहकारी मानवीय प्रयासों के माध्यम से उद्देश्यपूर्ण संगठन बनाते हैं ,निर्देशित करते हैं तथा चलाते हैं। " 

 2. प्रबंध एक शास्त्र [ संकाय ] के रूप में ,
वर्तमान में प्रबन्ध का अध्ययन एक विशिष्ट क्षेत्र बन गया है। वर्तमान में प्रबंध के क्रमबध्द अध्ययन की आवश्यकता हो गई है। 
अनुशासन ज्ञान एवं विवेक की एक शाखा है जिसमें मानसिक एवं नैतिक प्रशिक्षण दिया गया है  प्रबन्ध जन्मजात एवं अर्जित प्रतिभा है। 

प्रबन्ध में विशिष्ट ज्ञान ,दक्षता व कुशलता की आवश्यकता होती है। अब प्रबन्ध के अपने सिध्दांत ,नियम व अपना स्वयं का विषय हो गया है 
वर्तमान में अधिकांश प्रबंधक कार्य पूर्व ही उपर्युक्त ज्ञान प्राप्त कर लेते है। 

कुछ कम्पनियाँ  अध्ययन  काल में ही अच्छे  विद्यार्थियों को अपने संगठन में नियुक्त करने हेतु प्रयास करती है। 
प्रबंध  शास्त्र ने भी समाजशास्त्र ,नैतिक शास्त्र ,मनोविज्ञान एवं  अर्थशास्त्र  आदि के नियमों व  सिध्दांतो के अनुरूप  अपने सिध्दांत विकसित कर लिए है। प्रबंध शास्त्र में गणित एवं  सांख्यिकी   नियमों की आवश्यकता  महसूस की जाने  लगी है। इस प्रकार आपने आप में एक शास्त्र ,संकाय या अनुशासन बन गया है।  

 3. प्रबंध एक समूह के रूप में - 
प्रबंध  व्यक्तियों का एक समूह  है जिसमें विभिन्न स्तर पर विभिन्न प्रकार के अधिकारी ,कर्मचारी निर्देशित कार्य करते है। प्रबंध का आशय कदापि एक या कुछ व्यक्तियों से नहीं लगाया जाना चाहिए। 
यहाँ प्रबंध के समूह की हम  दो भागों में व्याख्या कर सकते है। प्रथम प्रबंध का वह भाग जिसमें प्रबंध के उच्च  स्तर पर अधिकारी कार्य करते है।  जैसे  प्रबंधक  संचालन ,संचालक प्रबंधक आदि। 

प्रबंध का यह  समूह संगठन के मस्तिष्क होते है  तथा ये  संगठन के लिए समय समय पर नीतियाँ  व  योजनायें  बी बनाते हैं। द्वितीय - प्रबंध का वह भाग जो मध्यम 
व  निम्न स्तर पर कार्य करता है। जैसे - फोरमैन ,शाखा प्रभारी ,अधीक्षक ,पर्वेक्षक आदि। 



4. "प्रबंधकीय कार्य एक पेशा है और नहीं भी " समझाइये ,क्या भारत में इसे पेशे के रूप में मान्यता दी गई है ?
answer - प्रबंध पेशे  के रूप में - 
सर जेम्स  लिंडसे का कहना है - " भारत में जिस रूप में औद्योगिक संगठनों  का विकास हो रहा है उसके यह विदित हो रहा है कि पेशाकारी प्रबंध केवल अस्तित्व में ही नहीं आया है अपितु शीघ्रता से विकास को प्राप्त  कर लेगा। "

स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया लिमिटेड -ने 1976 में अपनी तीसरी वर्षगाँठ के अवसर पर स्पष्ट किया कि भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों में पेशेवर  प्रबंधकों का महत्व बढ़ता जा रहा है। 

प्रबंध एक पेशा नहीं - 
हॉज  एवं जॉनसन के अनुसार - "प्रबंध वर्तमान में पेशे की आवश्यकताओं  को पूरा  नहीं करता है अतः  इसे पूर्ण पेशे की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता "

अतः हैरोल्ड ,अमरिने ,रिचे एवं हटले  के अनुसार " यद्यपि प्रबंध के कई क्षेत्रों में  प्रगति हो रही है। फिर भी यह स्पष्ट विदित होता है की प्रबंध अभी भी पूर्ण  रूप से एक पेशा नहीं हैं। "



5. भारत के सन्दर्भ में प्रबंध के महत्व  को बताइये। 
answer - प्रबंध का महत्व सर्वव्यापी है। "प्रबन्ध  का एक व्यवसाय या उद्योग में वही महत्व है ,जो महत्व मनुष्य के शरीर में मस्तिष्क का होता है 
जिस प्रकार बिना प्राण ,आत्मा या मस्तिष्क के शरीर का कोई अस्तित्व नहीं ,उसी प्रकार बिना प्रबन्ध के व्यवसाय या उपक्रम का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता। मनुष्य का मस्तिष्क जितना स्वस्थ व सूक्ष्म होगा वह उतना ही क्रियाशील रहेगा। 
वैसे ही प्रबंधक जितना अनुभवी ,कुशल एवं दक्ष होगा ,उतना ही व्यवसाय क्रियाशील व प्रगति करेगा तथा लाभ अर्जित करेगा। 

जार्ज आर. टेरी के अनुसार - "कोई भी उपक्रम बिना प्रभावी प्रबन्ध के अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता। कुछ हद तक अनेक आर्थिक ,सामाजिक और राजनैतिक लक्ष्यों की प्राप्ति योग्य प्रबंधकों पर निर्भर  करती है"

व्यवसाय के क्षेत्र में प्रबंध का महत्व  दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इसके निम्न कारण हैं - 
> गलाकाट प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए। 
> लागत में कमी करने के लिए। 
> उत्पादक के साधनों का सदुपयोग करने के लिए 
> बड़े उपक्रमों की जटिलता को दूर करने के लिए। 
> उत्पादक के विभिन्न साधनों में समन्वय के लिए। 
> शोध एवं अनुसंधान के लिए। 
> पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए। 
> योजना बनाने के लिए। 
> कुशल उत्पादन एवं वितरण व्यवस्था के लिए। 
> श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए। 



6."प्रबंध  तथा  प्रशासन एक दूसरे के पर्यायवाची हैं " स्पष्ट करते हुए इन दोनों में अंतर बताइये। 
answer - प्रबंध तथा प्रशासन एक दूसरे के पर्यावाची है - [management and administration are synonyms ]- प्रबंध तथा प्रशासन दोनों  एक दूसरे के पर्यायवाची हैं इस विचारधारा के समर्थक हेनरी  फेयोल ,न्यूमैन ,कुन्टज एवं ओ ' डोनेल  ,ऐलन आदि प्रमुख हैं। 
इस सम्बन्ध में डॉ. किम्बाल का कहना है - "प्रबन्ध  व प्रशासन के मध्य अंतर करना भ्रम  को बढ़ावा देता है ,ये दोनों शब्द पर्यावाची हैं। प्रशासन शब्द का प्रयोग अधिकांशतः सार्वजनिक प्रशासन के क्षेत्र  में किया जाता है जबकि व्यावसायिक जगत में प्रबंध शब्द का प्रयोग  किया जाता है। 

- प्रबंध एवं प्रशासन में अंतर। 
[DIFFERENCE BETWEEN MANAGEMNT AND ADMINISTRATION ] 

- प्रशासन का कार्य व्यवसाय के उद्देश्यों ,नीतियों व योजनाओं को सुनिश्चित करता है तथा आवश्यक निर्णय लेकर व्यावसायिक क्रियाओ पर नियंत्रण करना है। 
जबकि प्रबंध का कार्य प्रशासन द्वारा निर्धारित 
की गई नीतियों व योजनाओं को कार्य रूप में परिणय करता है। इस प्रकार इन दोनों में मात्र कार्य के स्वरुप का अंतर है। 

1. नीतियाँ निर्धारित करना - जिन उद्देश्यों के लिए किसी संस्था की स्थापना की जाती है उन उदेश्यों को प्राप्त करने  के लिए योजनाएं व नीतियां प्रशासन द्वारा बनाई जाती है।  प्रबंध का कार्य प्रशासन द्वारा बनाई गई योजनाओं  को क्रियान्वित करना है। इसके लिए संगठन ,निर्देशन ,नियंत्रण ,अभिप्रेरण व  समन्वय कार्य प्रबन्ध करता है। 

2. स्वामी सेवक का सम्बन्ध - प्रशासन व्यवसाय का स्वामी होता है अतः वह पूँजी श्रम ,साहस व संगठन उपलब्ध कराता  है। जबकि प्रबन्ध संस्था के सेवक या कर्मचारी होते हैं ये अपनी कला -कौशल व ज्ञान के संगठन के कार्यों को संप्पन्न करते हैं। 

3. प्रतिफल प्राप्त करना - प्रशासन को अपनी पूँजी बदले लाभ प्राप्त होता है जबकि प्रबंध को अपने कार्य के बदले पारिश्रमिक या वेतन प्राप्त होता है। 
4. समन्वय एवं नियंत्रण - प्रशासन का कार्य वित ,उत्पादन एवं वितरण में समन्वय बनाए रखना है। प्रबंध का कार्य  संगठन में पूर्ण नियंत्रण रखकर नीतिओं को क्रियान्वित कराना है। 

5. कार्य का स्तर - प्रशासन सर्वोच्य या उच्य का प्रबंध माना जाता है जबकि प्रबंध का स्तर मध्यम एवं निम्न श्रेणी का होता है। 

6. निर्देशों का पालन - प्रशासन द्वारा निर्देश जारी किये जाते हैं इस निर्देशों का पालन कराना प्रबंध का कार्य है। 



7.प्रबंध के प्रमुख कार्यो को समझाइये। 
answer - नियोजन PLANNING -
प्रबंध का सबसे महत्वपूर्ण एवं प्राथमिक कार्य नियोजन करना है। शील्ड के शब्दों में "योजना विभाग प्रबंध का ह्रदय है जिसका एकमात्र कार्य उत्पादन के विभिन्न पहलुओं में कार्यरत कर्मचारियों की आवश्यकताओं को पूरा करना है। 
नियोजन के अंतर्गत किसी कार्य को किस प्रकार किस व्यक्ति से ,कहाँ पर ,किस विधि से कितने समय में पूरा करना है इसकी रुपरेखा तैयार कर ली जाती है 
ताकि निर्धारित अवधि में लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। इस हेतु पूर्वानुमान लगाया जाता है। 

2. संगठन ORGANIZATION -  
संगठन प्रबंध का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य है "बिना संगठन के कोई भी प्रबंध जीवित नहीं रह सकता। 
"मानव व मशीन का सामूहिक प्रयास जो पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कार्य करता है संगठन कहलाता है।  संगठन दो या अधिक व्यक्तियों का समूह होता है। 
मजबूत संगठन के बिना प्रबंध अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता ,प्रबंध संगठन को मजबूत व प्रभावी बनाता है। 
व्यापार ,वाणिज्य एवं उद्योग  के विभिन्न साधनों में प्रभावपूर्ण सामंजस्य  स्थापित करना ही संगठन है। 

3. नियुक्तियाँ STAFFING - 
प्रबंध का तीसरा महत्वपूर्ण कार्य कर्मचारियों की नियुक्ति करना है ,क्योकिं बिना कर्मचारी के संगठन नहीं  और बिना संगठन के प्रबंध नहीं हो सकता। 

नियुक्ति कार्य हेतु बड़े बड़े उत्पादन में अलग सेविवर्गीय  विभाग खोला जाता है।  और इसी विभाग द्वारा नियुक्तियाँ की जाती है। 

4. संचालन DIRECTION - 
संचालन ,प्रबंध का चतुर्थ महत्वपूर्ण कार्य है। इसे निर्देशन या नेतृत्व भी कहा जाता है। 
प्रबंध मस्तिष्क की भाँति होता हैं अतः इसका कार्य सम्पूर्ण व्यवसाय व उद्योग को संचालित करना होता है वह अन्य कर्मचारियों को आवश्यक कार्य करने हेतु निर्देश देने का काम करता है। 

https://www.syllabuson.com/2020/10/business-studies12th-lasson-1-nature.html -अति लघुउत्तरीय  और  लघुउत्तरीय  के लिए  इसे खोलें 


8.प्रबंधकीय स्तर  कितने  होते  हैं ? उनके प्रमुख कार्यो को बताइये। 

answer - प्रबंधकीय स्तर तीन प्रकार होते है जो निम्न  है.-
 
उच्चस्तरीय प्रबंध -
 प्रबंध स्तरो में उच्चस्तरीय प्रबंध का स्थान सर्वोपरि होता है। एक वृहद आकर के उपक्रम के उद्देश्य व  नीतियों को सामान्यतः संचालन मण्डल द्वारा निर्धारित  है। 

उच्चस्तरीय प्रबंध में प्रमुख दो व्यक्तियों को शामिल किया जाता है। 
1. संचालन मण्डल 2. मुख्य अधिशासी 
1. संचालन मण्डल board of directors के कार्य -
> उपक्रम के उद्देश्यों को निर्धारित करना ,
> संस्था के ट्रस्टी के रूप में उसकी रक्षा करना। 
> मुख्य अधिशासी का चयन करना 
> संस्था की उपलब्धियों व परिणामों की जाँच करना 
> बजट को पारित करना। 
> आय का उचित वितरण करना। 
> महत्वपूर्ण विषयों पर विचार विमर्श करना 

2. मुख्य अधिशासी chief executive के कार्य - 

> संचालन मण्डल एवं सम्पूर्ण संगठन के मध्य संपर्क बनाये रखना ,
> संचालन  मण्डल द्वारा निर्धारित नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करना 
> यह देखना  अधीनस्थ कर्मचारी कम्पनी की नीतियों से अवगत है ,
> प्रभावी समन्वय बनाने रखना। 
> अधीनस्थों में स्वैच्छिक आधार पर कार्य करने की भावना  को बनाये रखना। 

2. मध्यस्तरीय प्रबंध - middle level management - इस स्तर में विभागीय प्रबंधक  जैसे - उत्पादक प्रबंधक ,विपणन प्रबंधक ,वित प्रबंधक ,उपाध्यक्ष  आदि को शामिल किया जाता है 

मेरी कुशिंग नाइल्स अनुसार - " उच्च स्तर व निम्नस्तर के  मध्य के अधिकारी ही  मध्यस्तरीय  प्रबंध में शामिल होते है  

मध्यस्तरीय प्रबंध के कार्य - 
> संचालक के कार्य  में निर्णयों में  इसकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है 
> प्रत्येक दिन के  काम का परिणाम में ध्यान व सम्पर्क बनाये रखना 
> उत्पादन की उपलब्धियों  की समीक्षा करना उन्हे स्पष्ट करना 
> समय समय पर कर्मचारियों का मूल्यांकन  करना। 

 पर्यवेक्षणीय प्रबंध --
 प्रबंधकीय स्तरों में पर्यवेक्षणीय प्रबंध निम्नस्तर का होता है। इसलिए इसे प्रथम पंति  प्रबंध भी कहा जाता है। इस स्तर पर मुख्यतः फोरमैन पर्यवेक्षक या कार्यालय पर्यवेक्षकों को सम्मिलित किया जाता है। 
इस स्तर के प्रबंधकों का मुख्य कार्य यह देखना होता है कि उनके अधीनस्थ कर्मचारी ने कार्य ठीक ढंग से  नहीं। 
इस प्रकार के प्रबंधक वास्तव में कार्यकारी प्रबंधक होते है। इनका कार्यक्षेत्र अत्यधिक विस्तृत आते है।
 
आर.सी. डेविस के अनुसार - " पर्यवेक्षणीय प्रबन्ध में कार्यकारी नेतृत्व प्रदान करने वाले वे सभी पद आते हैं जिनका मुख्य कार्य कर्मचारियों के कार्यों का निरीक्षण एवं निर्देशन करना होता है। "

पर्यवेक्षणीय या निम्नस्तर प्रबंध के तीन कार्य निम्न है -
> संस्था के उदेश्यों  एवं लक्ष्यों की पूर्ति हेतु योजनायें बनाना ,
> कर्मचारियों को कार्य  सौंपना 
> प्रति घण्टा  कार्य एवं परिणामों पर निगरानी रखना ,
> त्रुटि के स्त्रोत स्थल पर निगाहें  रखकर उचित कदम उठाया 




9.समन्वय किसे कहते हैं ? समन्वय की प्रकृति बताइये। 
answer - आधुनिक समय में समन्वय  प्रबंध प्रक्रिया का सार  है। किसी भी  उपक्रम या संगठन  की सफलता या नियमित संचालन के लिए यह आवश्यक है। 
 कि  उसके  समस्त  विभागों में आवश्यक तालमेल बना रहे। 
हेनरी फेयोल  के अनुसार - " किसी  प्रतिष्ठान के कार्य संचालन  को सुविधाजनक एवं सफल बनाने के  लिए  उसकी समस्त क्रियाओं में सामंजस्य स्थापित करना ही समन्वय है। 

समन्वय की प्रकृति से सम्बन्ध में निम्न बातें है - 
> समन्वय  संस्था  के शीर्ष प्रबंध का उतरदायित्व  के तहत आता है 
> समन्वय  नेतृत्व  सम्बन्धी कार्य का एक महत्वपूर्ण  अंग  है , 
> समन्वय एक प्रक्रिया है 
> समन्वय के लिए प्रबंधको को सतत  प्रयत्नशील रहना चाहिए। 
> समन्वय  सामूहिक प्रयास है  व्यक्तिगत  नहीं 
> सामूहिक लक्ष्यों  की प्राप्ति  बिना  समन्वय  के संभव नहीं है 
> समन्वय  रचनात्मक  एवं  सृजनात्मक  शक्ति है। 



10."प्रबंध कला एवं विज्ञान दोनों हैं " क्या  आप  इससे सहमत हैं ? उदाहरण  सहित  समझाइये। 
answer - प्रबंध में कला से सम्बंधित समस्त गुण विद्यमान हैं अतः प्रबंध एक कला है इसी प्रकार विज्ञान के अधिकांश गुण प्रबन्ध में दृष्टिगोचर होते हैं अतः प्रबन्ध एक विज्ञान भी है। 
अतः कला एवं विज्ञान दोनों है। 
उन्नीसवीं शताब्दी तक प्रबंध को केवल कला ही माना जाता था ,किन्तु उसके बाद इसे विज्ञान का दर्जा भी  मिल गया अर्थात वर्तमान में प्रबंध विज्ञान भी है और कला भी। 

 किसी विषय का क्रमबद्ध ज्ञान प्राप्त करना विज्ञान कहलाता है। विज्ञान  कारण एवं परिणामो के मध्य सम्बन्ध बताता है ,सिध्दांतों पर आधारित  व्यवस्थित ज्ञान ही विज्ञान है। -

> प्रबंध के प्रमुख  कार्य नियोजन ,संगठन ,नियंत्रण ,निर्देशन ,व नियुक्तियों  का कार्य निर्बाध गति से निरंतर चलता रहता है। 
> प्रबंध विज्ञान  में कारणों का प्रभाव परिणामों पर निश्चित रूप से पड़ता है। 
> प्रबंध विज्ञान  के अपने निश्चित नियम व सिध्दांत होते है। 
> प्रबंध  विज्ञान  समस्त नियम , प्रयोगों द्वारा स्वयंसिध्द हैं। 

11. " समन्वय प्रबंध का सार है। "इस कथन को स्पष्ट करते हुए समन्वय के महत्व  पर प्रकाश डालिये। 
answer - व्यवसाय  व्यापार हो या संस्था  बिना  समन्वय के  कभी भी लक्ष्य को प्राप्त  नहीं  कर  सकती। 
किसी टीम की सफलता भी समन्वय  पर  आधारित होती है,बिना समन्वय  तो हवाई जहाज उड़ाया जा सकता है और  न ही समुद्री जहाज को आगे बढ़ाया जा सकता है। 
किसी उपक्रम में समन्वय के महत्व को  बताते हुए ,कूण्टज एवं ओ ' डोनेल  ने कहा है कि  " समन्वय प्रबंध का एक कार्य ही नहीं है ,अपितु प्रबंध का  सार  essence भी है। " अतः स्पष्ट है  कि  प्रबंधकीय क्षेत्र में समन्वय का विशिष्ट स्थान  है ,

> समन्वय के महत्व  को  अग्र  बिन्दुओं  से स्पष्ट किया जा सकता है। 
1. प्रबंधकीय कार्यो आधार basis of managerial functions  - समन्वय प्रबंध के समस्त कार्यो की कुंजी है। प्रबंध के विभिन्न कार्यों [ नियोजन ,संगठन ,नियंत्रण ,निर्देशन ,अभिप्रेरण ] की सफलता तब ही मिल सकती है 
2. उपलब्ध साधनों का सदुपयोग - proper use of available  resources - किसी भी संस्था उपक्रम में विकास के साधन सीमित होते है। अतः इनका अधिकतम उपयोग हो इसके लिए उत्पादन के विभिन्न साधनों के मध्य समन्वय  आवश्यक है। 

3. मानवीय संबंधों स्थापना  establish the human relation - किसी भी उपक्रम की सफलता के लिए मधुर मानवीय  संबंधों का होना आवश्यक है। मधुर संबंधों के बिना प्रत्येक व्यक्ति अपनी अपनी राग अलापेगा अर्थात अपनी अपनी  इच्छा कार्य करेगा। 
जबकि समन्वय रहने से आपसी संबंधों में मधुरता आती है व कार्यो का निपटारा  शीघ्र व अच्छे से होता है। 

4. एकता  को बल - emphasis to unity - समन्वय रहने से उचित तालमेल बना रहता है। उचित तालमेल से कर्मचारियों  में एकता बनी रहती है। तथा एकता से ही शक्ति प्राप्त होती है 
और शक्ति से विकास के मार्ग खुल जाते हैं। अतः समन्वय से विकास होता है तथा प्रबंधकीय कर्मचारियों में एकता बनी रहती है। 

5. विकास को बढ़ावा - encouragement to development - 
किसी भी संस्था या व्यवसाय  का विकास उस समय ही सम्भव है जब वहाँ के उत्पादन सा समस्त साधनों व विभागों के मध्य  उचित समन्वय हो। 

समन्वय के बिना विकास की बात करना रेत पर महल बनाने जैसा होगा। समन्वय से विकास की गति तीव्र होती है। 



12. "समन्वय प्रबंध का कोई अलग से कार्य नहीं है ,यह प्रबंध का सार है। " उपयुक्त उदहारण की सहायता से स्पष्ट कीजिए। 
answer - 
 व्यवसाय  व्यापार हो या संस्था  बिना  समन्वय के  कभी भी लक्ष्य को प्राप्त  नहीं  कर  सकती। 
किसी टीम की सफलता भी समन्वय  पर  आधारित होती है,बिना समन्वय  तो हवाई जहाज उड़ाया जा सकता है और  न ही समुद्री जहाज को आगे बढ़ाया जा सकता है। 

किसी उपक्रम में समन्वय के महत्व को  बताते हुए ,कूण्टज एवं ओ ' डोनेल  ने कहा है कि  " समन्वय प्रबंध का एक कार्य ही नहीं है ,अपितु प्रबंध का  सार  essence भी है। " अतः स्पष्ट है  कि  प्रबंधकीय क्षेत्र में समन्वय का विशिष्ट स्थान  है ,

आधुनिक  समय  में समन्वय प्रबंध प्रक्रिया का सार [ essence of management  process ] है। किसी भी उपक्रम  या संगठन की सफलता या नियमित  संचालन  के लिए  यह आवश्यक है कि उसके समस्त विभागों में आवश्यक  तालमेल बना रहे। 
वर्तमान समय में जहाँ प्रत्येक व्यक्ति अपनी  राग अलापता है तथा विरोधी विचारधारा दिनों दिन बढ़ती  है। वहाँ  समन्वय   समग्र संगठन को जोड़ना व लक्ष्य प्राप्त करना टेढ़ी खीर होगी। 
समन्वय  को बोलचाल की भाषा में आपसी तालमेल  mutual understanding  कहा जाता है। 

हेनरी  फेयोल - " किसी प्रतिष्ठान के कार्य संचालन को सुविधाजनक एवं  सफल बनाने के  लिए उसकी समस्त क्रियाओं में सामन्जस्य स्थापित करना ही  समन्वय है। "

"समन्वय  प्रबंध का  सार है। " यह प्रबंध के प्रत्येक कार्यों व स्तरों में विद्यमान रहता है। 





13. एक उपक्रम  सफलता में प्रबंध कैसे सहयोगी होता है। 
answer - "प्रबन्ध  का एक व्यवसाय या उद्योग में वही महत्व है ,जो महत्व मनुष्य के शरीर में मस्तिष्क का होता है जिस प्रकार बिना प्राण ,आत्मा या मस्तिष्क के शरीर का कोई अस्तित्व नहीं ,उसी प्रकार बिना प्रबन्ध के व्यवसाय या उपक्रम का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता। 

मनुष्य का मस्तिष्क जितना स्वस्थ व सूक्ष्म होगा वह उतना ही क्रियाशील रहेगा। वैसे ही प्रबंधक जितना अनुभवी ,कुशल एवं दक्ष होगा ,उतना ही व्यवसाय क्रियाशील व प्रगति करेगा तथा लाभ अर्जित करेगा। 

जार्ज आर. टेरी के अनुसार - "कोई भी उपक्रम बिना प्रभावी प्रबन्ध के अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता। कुछ हद तक अनेक आर्थिक ,सामाजिक और राजनैतिक लक्ष्यों की प्राप्ति योग्य प्रबंधकों पर निर्भर  करती है"

व्यवसाय के क्षेत्र में प्रबंध का महत्व  दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इसके निम्न कारण हैं - 
> गलाकाट प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए। 
> लागत में कमी करने के लिए। 
> उत्पादक के साधनों का सदुपयोग करने के लिए 
> बड़े उपक्रमों की जटिलता को दूर करने के लिए। 
> उत्पादक के विभिन्न साधनों में समन्वय के लिए। 
> शोध एवं अनुसंधान के लिए। 
> पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए। 
> योजना बनाने के लिए। 
> कुशल उत्पादन एवं वितरण व्यवस्था के लिए। 
> श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए। 

https://www.syllabuson.com/2020/10/business-studies12th-lasson-1-nature.htmlअति लघुउत्तरीय  और  लघुउत्तरीय  के लिए  इसे खोलें 

कृपया syllabus on se जुड़ने के लिए। . आप हमें फॉलो करे।  इस पोस्ट के नीचे socail icon  में  आप facebook page ,whatsapp group ,intagram ,teligram ,youtube  में click कर हमारे पेज को फॉलो करे like करे. 
और हमसे जुड़े। .आपको मिलेंगी सारी अपडेट और जानकारी। - धन्यवाद। 

                    आपका भविष्य प्रकाशवान ,ऊर्जावान ,सफल बनें। .. syllabuson


एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ

thank you ...