हिंदी दिवस : क्या है हिंदी की संवैधानिक स्थिति - क्या है हिंदी की संवैधानिक रुपरेखा




 क्या है हिंदी की संवैधानिक स्थिति - समझिए हिंदी दिवस पर क्या है हिंदी की संवैधानिक रुपरेखा -

आप सब को मालूम ही होगा की अगामी हिंदी हिवास 14 सितंबर को है और हिंदी हमारी मातृभाषा है हम सब हिंदी से प्रेम करते है पर आज हिंदी का स्तर समाज से शिक्षा व्यवस्था से कम हो रहा है। विशेष कर युवाओ में हिंदी का स्तर निम्न हो रहा है जबकि हिंदी भाषा का उल्लेख संविधान में भी खूब किया गया है तो आइये आज हिंदी की संवैधानिक स्थिति को समझते है। 

राजभाषा क्या है official  language -

राजभाषा का अर्थ है राज काज यानि की काम काज की भाषा जो भाषा देश के राजकीय कार्यों के लिए प्रयुक्त हो। वह 'राजभाषा'  कहलाती है। जैसे जिस भाषा में राजाओ नबाबों के यहाँ जिस भाषा में राज काज के काम होते थे उस भाषा को दरबारी भाषा मानी जाती थी  ,उसी प्रकार आज की राज काज के लिए जिस भाषाभाषा का प्रयोग किया जाता है उसे  राजभाषा कहतें है। यह भाषा सरकारी काम करने के लिए आवश्यक हो जाती है। 

राजभाषा एक संवैधानिक शब्द है। हिंदी को 14 सितम्बर 1949 ई.को संवैधानिक रूप से राजभाषा घोषित की गई। इस लिए प्रत्येक साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 

अनुच्छेद 120 : संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा -

भारतीय संविधान  कहता है संसद का कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया जायगा ,साथ ही लोकसभा का अध्यक्ष या राज्य सभा का सभापति किसी सदस्य को उसकी मातृभाषा में सदन को सम्बोधित करने की अनुमति दे सकता है। संसद विधि द्वारा यदि उपबंध न करे तो 15 वर्ष के बाद अंग्रेजी शब्द का  लोप किया जा सकेगा। 

अनुच्छेद 210 : राज्य  विधानमंडल  में प्रयोग की जाने वाली भाषा  -

राज्यों के विधानमंडलों का कार्य अपने अपने राज्य की राजभाषा या  हिंदी ,अंग्रेजी  में किया जायगा। साथ ही विधानसभा  अध्यक्ष  या विधान परिषद् का सभापति किसी सदस्य को उसकी मातृभाषा या क्षेत्री भाषा में सदन  को सम्बोधित करने की अनुमति दे सकता है।  

                                            भारतीय संविधान  भाग -17  क्या कहता है -

     अध्याय 1 : संघ की भाषा  - 

अनुच्छेद  343 : संघ की राजभाषा -संघ  की राजभाषा हिंदी और देवनागरी होगी। अंकों का रूप भारतीय अंकों  का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा। 

इस संविधान के प्रारंभ से  15 वर्ष की अवधि तक उन सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी  भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा ,जिनके लिए पहले प्रयोग किया जा रहा था। 

राष्ट्रपति एक अवधि के दौरान संघ के शासकीय प्रयोजनों में से किसी ले लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिंदी भाषा का और भारतीय अंको के अंतर्राष्ट्रीय रूप के अलावा देवनागरी रूप का उपयोग प्राधिकृत कर सकेगा। 

अनुच्छेद 344 - राजभाषा के संबंध में आयोग [5 वर्ष के उपरांत राष्ट्रपति द्वारा ] और संसद की समिति [ 10 साल के बाद 

अध्याय 2 : प्रादेशिक भाषाएँ  

अनुच्छेद  345 : राज्य की  राजभाषा या राजभाषाए 

अनुच्छेद 346 : एक राज्य और दूसरे राज्य या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा 

अनुच्छेद 347 : किसी राज्य की जनसंख्या के किसी अनुभाग द्वारा बोली जानेवाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध 

अध्याय 3 :     SC ,HC आदि की भाषा 

अनुच्छेद  348 SC और HC में और संसद व राज्य विधान मंडल में  विधेयकों ,अधिनियमों आदि के लिए प्रयोग की जानेवाली भाषा [उपबंध होने तक अंग्रेजी जारी ]

अनुच्छेद  349 : भाषा से सम्बंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया 

अध्याय 4 : विशेष निदेश 

अनुच्छेद  350 : व्यथा के निराकरण के लिए अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा 

1. भाषाई  अल्पसंख्यक वर्गों के लिए  प्राथमिकता स्तर पर मातृभाषा  में शिक्षा की सुविधा 

2. भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के लिए विशेष अधिकारी की नियुक्ति [राष्ट्रपति द्वारा 

अनुच्छेद  351 : हिंदी के विकाश के लिए निदेश 

संघ का यह  उत्तरदायित्व होगा की वह हिंदी भाषा  का प्रचार  प्रसार करे ! उसका विकाश को निरंतर बढ़ाए जिससे भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके। एवं  उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किय बिना हिंदुस्तानी  में और 8वीं अनुसूची  में  विनिर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं  में प्रयुक्त रूप ,शैली और पदावली को आत्मसार करते हुए जहाँ आवश्यक या वांछनीय हो वहाँ उसके शब्द भंडार के लिए मुख्यतः संस्कृत में और गौणतः अन्य भाषाओं  से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करें। 

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